CAA के तहत राज्यों को दूर रखने की रणनीति! नागरिकता प्रक्रिया हो सकती है ONLINE

CAA के तहत नागरिकता प्रदान करने की समूची प्रक्रिया केंद्र द्वारा ONLINE बनाने की संभावना है, ताकि राज्यों को इस कवायद में दरकिनार किया जा सके। अधिकारियों ने मंगलवार (31 दिसंबर) को यह जानकारी दी। दरअसल, कुछ राज्य इस नये कानून के खिलाफ हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय केरल सहित कई राज्यों में CAA का जोरदार विरोध किए जाने के मद्देनजर जिलाधिकारी के जरिए नागरिकता के लिए आवेदन लेने की मौजूदा प्रक्रिया को छोड़ने के विकल्प पर विचार कर रहा है।

केरल में मंगलवार (31 दिसंबर) को विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित कर इस विवादास्पद अधिनियम को वापस लेने की मांग की गई। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ”हम जिलाधिकारी के बजाय एक नये प्राधिकार को नामित करने और आवेदन, दस्तावेजों की छानबीन तथा नागरिकता प्रदान करने की समूची प्रक्रिया ONLINE बनाने की सोच रहे हैं।”

अधिकारी ने कहा कि यदि यह प्रक्रिया पूरी तरह से ONLINE बन जाती है तो किसी भी स्तर पर कोई राज्य सरकार किस तरह का हस्तक्षेप नहीं करेगी। इसके अलावा गृह मंत्रालय के अधिकारियों की यह राय है कि राज्य सरकारों के पास CAA के क्रियान्वयन को खारिज करने की कोई शक्ति नहीं है क्योंकि यह अधिनियम संविधान की सातवीं अनुसूची की संघ सूची के तहत बनाया गया है।

मंत्रालय के शीर्ष अधिकारी ने कहा, ”संघीय सूची में शामिल किसी कानून के क्रियान्वयन से इनकार करने का राज्यों को कोई शक्ति नहीं है।” संघ सूची में 97 विषय हैं, जिनमें रक्षा, विदेश मामले, रेलवे, नागरिकता आदि शामिल हैं। CAA के खिलाफ देशव्यापी प्रदर्शनों के बीच केरल विधानसभा ने इस विवादास्पद अधिनियम को वापस लेने की मांग करते हुए मंगलवार (31 दिसंबर) को एक प्रस्ताव पारित किया।

पश्चिम बंगाल, पंजाब, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ सहित कुछ अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने इस कानून के ”असंवैधानिक” होने की घोषणा की है और कहा कि इसके लिए उनके राज्यों में कोई जगह नहीं है। पश्चिम बंगाल की CM ममता बनर्जी ने कहा था, ”आपके (BJP के) घोषणापत्र में विकास के मुद्दों के बजाय, आपने देश को विभाजित करने का वादा किया। नागरिकता धर्म के आधार पर क्यों दी जाए? मैं इसे स्वीकार नहीं करूंगी। हम आपको चुनौती देते हैं…।” उन्होंने कहा, ”आप लोकसभा और राज्यसभा में जबरन कानून पारित कर सकते हैं क्योंकि आपके पास वहां संख्या बल है। लेकिन हम आपको देश बांटने नहीं देंगे।”

पंजाब के CM अमरिंदर सिंह ने इस अधिनियम को भारत की धर्मनिरपेक्ष छवि पर सीधा हमला करार देते हुए कहा कि उनकी सरकार अपने राज्य में इस कानून को लागू नहीं होने देगी। छत्तीसगढ़ के CM भूपेश बघेल ने कहा कि यह अधिनियम पूरी तरह से असंवैधानिक है। उन्होंने कहा, ”इस पर कांग्रेस पार्टी में जो कुछ फैसला होगा हम छत्तीसगढ़ में उसे लागू करेंगे।”

MP के CM कमलनाथ ने कहा था, ”कांग्रेस पार्टी ने CAB पर जो कुछ रुख अख्तियार किया है हम उसका पालन करेंगे। क्या आप उस प्रक्रिया का हिस्सा बनना चाहेंगे जो विभाजन का बीज बोती है।” कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने भी कहा कि यह विधेयक संविधान में निहित मूल विचारों पर पर खुल्लमखुल्ला प्रहार है और इस कानून के भाग्य के बारे में फैसला SUPREME COURT में होगा। गौतरलब है कि CAA पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 तक आए हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और पारसी समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान करता है, जिन्होंने इन तीन पड़ोसी देशों में धार्मिक उत्पीड़न का सामना किया है।

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