बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर महागठबंधन ने तैयारी तेज कर दी है. इसी कड़ी में आज पटना के सदाकत आश्रम स्थित प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में महागठबंधन की साझा संकल्प पत्र उपसमिति की पहली बैठक होने जा रही है. इस बैठक का मुख्य उद्देश्य आगामी विधानसभा चुनाव के लिए साझा घोषणा पत्र तैयार करना है, जिसमें गठबंधन के प्रमुख मुद्दों और चुनावी वादों को शामिल किया जाएगा.
हालांकि, सूत्रों के अनुसार, इस बैठक में सीट बंटवारे पर कोई चर्चा नहीं होगी, क्योंकि गठबंधन अभी अपने चुनावी एजेंडे को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है. इंडिया गठबंधन के सभी दलों के नेता इस बैठक में शामिल होंगे. जानकारी के मुताबिक इस बैठक में राजद देव सांसद मनोज झा और सुधाकर सिंह समेत कांग्रेस से अमिताभ दुबे, करुणा सागर, शिवजतन ठाकुर भाकपा माले से मीना तिवारी, माकपा से सर्वोदय शर्मा और वीआईपी से दिनेश साहनी और नुरुल हुदा समेत कई लोग शामिल होंगे.
बैठक का एजेंडा: साझा घोषणा पत्र पर मंथन
आज की बैठक में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी), कांग्रेस, सीपीआई, सीपीआई (मार्क्सिस्ट), सीपीआई (एमएल) लिबरेशन और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) जैसे महागठबंधन के प्रमुख घटक दलों के नेता शामिल होंगे. इस बैठक में गठबंधन के साझा संकल्प पत्र को आकार देने पर विचार-विमर्श होगा. गठबंधन बिहार के प्रमुख मुद्दों जैसे बेरोजगारी, महंगाई, शिक्षा, स्वास्थ्य, पलायन और कानून-व्यवस्था को अपने चुनावी अभियान का आधार बनाना चाहता है.
सीट बंटवारे पर अभी इंतजार
हालांकि महागठबंधन ने सीट बंटवारे को लेकर पहले कई दौर की बैठकें की हैं. लेकिन, आज की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा नहीं होगी. गठबंधन के नेताओं का कहना है कि सीट बंटवारे पर सहमति बनाने के लिए अभी और समय चाहिए. पिछली बैठकों में आरजेडी, कांग्रेस और वाम दलों के बीच सीटों की संख्या और गुणवत्ता को लेकर कुछ मतभेद सामने आए थे. खासकर कांग्रेस, जिसने 2020 के विधानसभा चुनाव में 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन केवल 19 सीटें जीत पाई थी, इस बार “क्वालिटी सीटों” की मांग कर रही है. वहीं, वाम दल और वीआईपी भी अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने की कोशिश में हैं.
कैसे होगा सीटों का बंटवारा?
12 जून को पटना में हुई महागठबंधन की चौथी बैठक में भी सीट बंटवारे पर कोई अंतिम फैसला नहीं हो सका था. उस बैठक में गठबंधन ने सभी दलों को अपने संभावित उम्मीदवारों की सूची तैयार करने का निर्देश दिया था, ताकि जीत की संभावना और जमीनी ताकत के आधार पर सीटों का बंटवारा किया जा सके. सूत्रों के अनुसार, आज की बैठक में भी गठबंधन इस दिशा में कोई ठोस कदम उठाने के बजाय घोषणा पत्र पर फोकस रखेगा.
तेजस्वी यादव की भूमिका अहम
महागठबंधन की रणनीति में तेजस्वी यादव की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है. 2020 के विधानसभा चुनाव में उनके नेतृत्व में गठबंधन ने मजबूत प्रदर्शन किया था, और इस बार भी आरजेडी उन्हें गठबंधन का मुख्यमंत्री चेहरा घोषित करने के पक्ष में है. तेजस्वी की लोकप्रियता, खासकर युवाओं और पिछड़े वर्गों में, गठबंधन के लिए एक बड़ा लाभ माना जा रहा है. हालांकि, कांग्रेस और अन्य सहयोगी दलों के बीच इस मुद्दे पर अभी सहमति बननी बाकी है.
एनडीए के खिलाफ एकजुट रणनीति
महागठबंधन की रणनीति में सत्तारूढ़ एनडीए (बीजेपी-जेडीयू गठबंधन) के खिलाफ एकजुटता दिखाना भी शामिल है. गठबंधन का मानना है कि बिहार में बेरोजगारी, महंगाई और पलायन जैसे मुद्दों पर जनता में असंतोष है, जिसे वे अपने अभियान का मुख्य आधार बनाना चाहते हैं. इसके अलावा, गठबंधन मतदाता सूची के पुनर्निरीक्षण पर भी नजर रख रहा है, जो 25 जून से 26 जुलाई तक चलेगा. चुनाव आयोग की सक्रियता को देखते हुए माना जा रहा है कि अक्टूबर-नवंबर में चुनाव हो सकते हैं, क्योंकि बिहार विधानसभा का कार्यकाल 22 नवंबर 2025 को समाप्त हो रहा है.
चुनौतियां और भविष्य की रणनीति
महागठबंधन के सामने सबसे बड़ी चुनौती आंतरिक मतभेदों को दूर करना और एक साझा रणनीति पर सहमति बनाना है. वाम दलों और वीआईपी की बढ़ती मांगों ने सीट बंटवारे को और जटिल बना दिया है. इसके अलावा, गठबंधन को एनडीए की मजबूत संगठनात्मक ताकत और बीजेपी-जेडीयू की संयुक्त रणनीति का सामना करना होगा. एनडीए ने भी अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं, और हाल ही में केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर सीट बंटवारे पर चर्चा की थी.

