इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया द्वारा जारी प्रेस नोट के अनुसार, बिहार में अब तक 6,60,67,208 मतदाता गणना फॉर्म जमा कर चुके हैं। जहां एसआईआर के दौरान 1.59 प्रतिशत मतदाता मृत पाए गए हैं, तो वहीं 2.2 प्रतिशत स्थायी रूप से स्थानांतरित हो गए हैं और 0.73 प्रतिशत व्यक्ति एक से अधिक स्थानों पर नामांकित पाए गए हैं।
बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट की जांच यानि कि विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) को लेकर विवाद है, विपक्ष तमाम आरोप लगा है, लेकिन एक सच्चाई ये भी है कि वोटर लिस्ट में हजारों ऐसे नाम हैं, जिनकी मृत्यु हो चुकी है, कहीं और जाकर बस चुके हैं, बिहार में ही दूसरी जगह शिफ्ट कर गए हैं, दो-दो जगह वोटर लिस्ट हैं, ऐसे लोगों की पहचान भी इसी प्रक्रिया के दौरान हो रही है। अब तक के जो आंकड़ें सामने आए हैं, उससे ये तय दिख रहा है कि 36 लाख लोगों के नाम वोटर लिस्ट से कटने जा रहे हैं। आइए समझते हैं कैसे…?
कहां-कहां मिल रही गड़बड़ियां
चुनाव आयोग के मुताबिक बिहार में कुल 78969844 रजिस्टर्ड वोटर्स हैं। जिसमें से 1.59%- वोटर्स की मृत्यु हो गई, 2.2%- स्थाई रूप निवास स्थान में बदलाव कर लिए हैं। 0.73%- स्थाई रूप से बिहार छोड़ दिया है। ऐसे में कुल 3569436 (तकरीबन 36 लाख वोटर कम हो जाएंगे)। यानी कि कुल 4.52% फीसदी वोटरों के वोट कट जाएंगे।
वो वोटर जिनकी मृत्यु हो गई उनका आंकड़ा- 1255620
वो वोटर जिन्होंने बिहार में ही पता बदला, लेकिन दो वोटर आईडी कार्ड धारक हैं-1737336
वो वोटर जिन्होंने बिहार स्थाई रूप से छोड़ दिया और दो वोटर कार्ड रखे हैं- 576479
चुनाव आयोग का उद्देश्य
कुल मिलाकर देखा जाए तो ये बोगस वोटर थे जो बिहार की मतदाता सूची में शामिल थे। लगभग 23 लाख मतदाता दो जगह का वोटर आईडी कार्ड रखे हुए थे, या तो उनका पता बिहार में में बदल चुका था या वो बिहार में लंबे समय से नहीं रह रहे थे। SIR की प्रक्रिया के दौरान इन्हीं वोटरों की पहचान की जा रही है, ताकि वोटर लिस्ट को सही किया जा सके और सही मतदाता ही वोट डालने बूथ तक पहुंच सकें।