विदेश मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मलेशिया के कुआलालंपुर में होने वाले आसियान शिखर सम्मेलन (ASEAN Summit) में वर्चुअली हिस्सा लेंगे. यानी वह मलेशिया नहीं जाएंगे. तो क्या विदेश मंत्री एस जयशंकर इस सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे? इस पर विदेश मंत्रालय ने साफ किया कि जयशंकर मलेशिया जाएंगे तो जरूर, लेकिन वे ईस्ट एशिया समिट में हिस्सा लेंगे. अब आपके भी मन में सवाल होगा कि क्या आसियान समिट और ईस्ट एशिया समिट अलग-अलग है? दोनों के बीच क्या कनेक्शन है? भारत की भूमिका इसमें सबसे खास क्यों है?
पहले जानिए विदेश मंत्रालय ने कहा क्या? विदेश मंत्रालय ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 26 अक्टूबर को हो रहे आसियान सम्मेलन में वर्चुअली हिस्सा लेंगे. इस दौरान भारत-आसियान रिश्तों में प्रगति की समीक्षा करेंगे. साथ ही, आगे किस तरह रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करना है, उस पर बात करेंगे. आसियान के साथ संबंधों को मजबूत करना हमारी ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ और हमारे इंडो-पैसिफिक दृष्टिकोण का एक प्रमुख स्तंभ है. विदेश मंत्री एस जयशंकर मलेशिया के कुआलालंपुर जाएंगे और वहां 27 अक्टूबर को होने जा रहे 20वें ईस्ट एशिया समिट में भाग लेंगे. ईस्ट एशिया समिट इंडो-पैसिफिक रीजन में शांति, स्थिरता और समृद्धि के सामने रोड़ा बनकर खड़ी चुनौतियों से निपटने का मंच है. यहां तमाम देश शामिल होंगे.
आखिर आसियान और ईस्ट एशिया समिट है क्या?
आसियान समिट (ASEAN Summit)
यह दक्षिण-पूर्व एशिया के 10 देशों का समूह है. इसे एसोशिएशन ऑफ साउथ ईस्ट एशियन नेशंस कहा जाता है. इसमें इंडोनेशिया, मलेशिया, सिंगापुर, थाईलैंड, फिलिपींस, वियतनाम, लाओस, म्यांमार, कंबोडिया और ब्रुनेई शामिल हैं. 8 अगस्त 1967 को इसकी स्थापना हुई थी. इसका मुख्यालय इंडोनेशिया के जकार्ता में है. इसका मकसद सदस्य देशों के बीच आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक सहयोग बढ़ाना है. इस समिट में केवल यही 10 देशों के नेता शामिल होते हैं. भारत आसियान का सदस्य नहीं, बल्कि डॉयलॉग पार्टनर यानी भागीदार है. भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी का सबसे अहम हिस्सा आसियान देश ही हैं.
ईस्ट एशिया समिट (East Asia Summit)
यह आसियान देशों के साथ 8 और देश जोड़कर बनाई गई एक बड़ी बैठक है. इसमें भारत, चीन, जापान, साउथ कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, अमेरिका और रूस भी शामिल हैं. कुल मिलाकर इसमें 18 देश भाग लेते हैं. इसे 2005 में शुरू किया गया था और इसका उद्देश्य क्षेत्रीय शांति, सुरक्षा और आर्थिक साझेदारी को बढ़ावा देना है. इसे आसियान ही होस्ट करता है, इसलिए ईस्ट एशिया समिट आमतौर पर आसियान समिट के तुरंत बाद या साथ आयोजित की जाती है. जयशंकर इसमें शामिल होने के लिए जा रहे हैं.
