अमेरिका और चीन आपसी इंपोर्टं पर अरबों डॉलर का शुल्क लगा चुके हैं। अब हालत यह हैं की सोयाबीन से लेकर मेडिकल उपकरण तक सब कुछ काफी ऊंचे दामों पर बिक रहे हैं। अमेरिका लगातार चीन से कहता रहा है कि वह उसकी संवेदनशील चीजों की नकल करना बंद करे और अमेरिका की कंपनियों को ट्रेड से संबंधित जानकारियां देने के लिए बाध्य नहीं करे। व्हाइट हाउस के इकोनॉमिक एडवाइजर लैरी कुदलो ने चीन के साथ होने वाली कारोबारी वार्ता की तो तुलना भी कोल्ड वार से की है। दूसरे शब्दों में कहें तो बातचीत लंबे समय तक चल सकती है। वैसे अमेरिका और चीन के बीच दूसरे दौर की वार्ता अक्टूबर में वाशिंगटन में होनी है।
कुदलो की इस टिप्पणी से जाहिर होता है कि ट्रंप प्रशासन चीन के साथ किसी भी तरह के समझौते को लेकर जल्दबाजी में नहीं है। अमेरिका की ताजा जॉब रिपोर्ट के मुताबिक ट्रेड वार के चलते नौकरियों में कमी आई है। अब ऐसे समय में कोल्ड वार का उदाहरण देकर लोगों को धीरज रखने को कहा जा रहा है।
अगले वर्ष होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों के मद्देनज़र ट्रंप ट्रेड वार के मुद्दे को जल्द सुलझाना चाहेंगे। हालांकि वे चीन पर यह आरोप लगा चुके हैं कि चीन इस राष्ट्रपति चुनाव तक ट्रेड वार पर वार्ता को टालने की कोशिश कर रहा है। कुदलो ने कहा कि इस मामलें में हमारे गहरे हित जुड़े हैं, इसलिए इससे ठीक से निपटना जरुरी होगा। अगर इसमें 10 साल भी लग जाएं, तो लगने दें। रूस के साथ कोल्ड वार में अमेरिकी हितों को साधने में कई दशक लग गए थे। कुदलो अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन के प्रशासन का भी हिस्सा रह चुके हैं।
