PM नरेंद्र मोदी के कैबिनेट विस्तार से उत्तर प्रदेश में CM योगी आदित्यनाथ और कर्नाटक में CM बीएस येदियुरप्पा की राह आसान होती नजर आ रही है। बुधवार को हुए केंद्रीय कैबिनेट विस्तार से BJP के हाईकमान ने स्पष्ट संदेश दे दिया है कि पार्टी योगी आदित्यनाथ और बीएस येदियुरप्पा जैसे अपने क्षेत्रीय नेताओं का पूरी समर्थन करती है। भले ही इन नेताओं ने हाल के दिनों में सियासी परेशानियों को झेला हो, मगर अंतत: वह BJP के शीर्ष नेतृत्व का समर्थन पाने में कामयाब रहे हैं।
गौरतलब है की मोदी कैबिनेट का विस्तार और फेरबदल आगामी विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखकर किया गया है। उत्तर प्रदेश से केंद्रीय मंत्री परिषद में 15 सदस्यों को जगह मिली है जो साबित करता है की BJP यह सब 2024 के लोकसभा चुनाव और आगामी विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर ही कर रही है। मोदी कैबिनेट में कुर्मी जाति को पर्याप्त जगह मिली है, मगर अब BJP योगी कैबिनेट के जरिये भी जातिगत समीकरणों को साधने में जुट गई है। उम्मीद की जा रही है कि जब योगी कैबिनेट में फेरबदल होगा तो इसमें कुछ क्षेत्रीय दलों जैसे निषाद संगठन और राजभर समुदाय के नेताओं को मंत्री पद दिया जा सकता है।
केंद्रीय श्रम मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के पद से संतोष गंगवार का निष्कासन एक स्पष्ट संकेत है कि राज्य के नेताओं को योगी का कहना मानना ही होगा और उन्हें नेता के रूप में स्वीकार करना ही होगा। बता दें कि संतोष गंगवार को CM योगी आदित्यनाथ का आलोचक माना जाता है। कोरोना काल में भी उन्होंने स्वास्थ्य-व्यवस्था को ठीक करने के लिए CM योगी को खत लिखा था और उनके अधिकारियों की शिकायत की थी।
ठीक इसी तरह कर्नाटक में शोभा करंदलाजे की टीम मोदी में एंट्री और पार्टी के वरिष्ठ नेता सदानंद गौड़ा का जाना एक और संदेश है कि पार्टी राज्य में बीएस येदियुरप्पा को अपने चेहरे के रूप में बदलने के मूड में कतई नहीं है। एक प्रभावी और उत्साही नेता के रूप में देखी जाने वाली शोभा करंदलाजे का कैबिनेट में चयन बीएस येदियुरप्पा को अस्थिर करने वाले अभियान के लिए एक बड़ा झटका है। येदियुरप्पा के खिलाफ बागियों की शिकायत को पार्टी आलाकमान ज्यादा तवज्जो नहीं दिया और असंतुष्टों को साफ-साफ बता दिया गया कि राज्य में येदियुरप्पा सरकार का प्रदर्शन संतोषजनक रहा है।
यहां तक कि महाराष्ट्र और गुजरात में भी BJP लॉन्ग टर्म प्लान के साथ काफी सावधानी से आगे बढ़ रही है। कैबिनेट मंत्री के रूप में नारायण राणे की उपस्थिति शिवसेना के लिए एक कड़ा संदेश है कि BJP भविष्य में अपने दम पर चुनाव लड़ने के लिए खुद को तैयार कर रही है। कोंकण के दिग्गज नेता राणे का शिवसेना के साथ सीधा टकराव रहा है और इस क्षेत्र में उनकी मजबूत पकड़ रही है। वहीं, गुजरात में पाटीदार समुदाय से ताल्लुक रखने वाले मनसुख मंडाविया और पुरुषोत्तम रूपाला की पदोन्नति को गुजरात में अगले साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों के आलोक में भी देखा जा सकता है। 2017 के विधानसभा चुनावों में पाटीदार आंदोलन ने BJP को मुश्किलों में डाल दिया था। उसे ही देखते हुए BJP ने यह कदम उठाया है।