नेपाल के जिस जालिम मियां को लेकर खुफिया विभाग ने भारत में कोरोना फैलाने की साजिश का इनपुट दिया है वो वाकई अपने नाम के तरह ही जालिम है। भारत-नेपाल सीमा पर जितने भी अनैतिक काम होते हैं, उसका सरगना यही जालिम है।
भारत-नेपाल सीमा पर तैनात एसएसबी ने खुफिया सूत्रों के आधार पर बिहार के पूर्वी और पश्चिमी चंपारण के जिलाधिकारी को इसके बारे में सूचना दी है।जिलाधिकारी ने जिले के एसपी को पत्र लिखकर आगाह किया है।जालिम मियां की भारत के प्रति जालिम हरकतों का लंबा इतिहास है।
जालिम मियां, एक जमाने में प्रतिबंधित लकड़ी की तस्करी करने के कारण कई बार हवालात के चक्कर काट चुका है । वह भारतीय खुफिया एजेंसियों की निगरानी में उस समय चढ़ गया था, जब नेपाल में आईएसआई के हैंडलर युनूस अंसारी के कहने पर पाकिस्तान से आने वाले जाली भारतीय नोटों को भारत में पहुंचाने लगा था । उसके करीबी कई लोग जाली नोट के साथ गिरफ्तार होने के बाद वह कुछ सालों तक अंडरग्राउंड हो गया था ।
इसी बीच, जब नेपाल पुलिस ने आईएसआई के हैंडलर युनूस को गिरफ्तार किया और खुफिया एजेंसियों ने भारत विरोधी काम करने वालों का एनकाउंटर करना शुरू किया, तो जालिम अपनी जान बचाने के लिए उस समय के सबसे बड़े दल माओवादी में शामिल हो गया । राजनीतिक रसूख दिखाने के लिए जालिम ने तत्कालीन प्रधानमंत्री प्रचंड को चार्टर्ड हेलीकॉप्टर से बुलाया था ।
जालिम पर हिंदू युवा संघ के अध्यक्ष काशी तिवारी की हत्या में शामिल होने का भी आरोप है. पुलिस ने जालिम को इस हत्याकांड में गिरफ्तार कर कई महीनों तक हिरासत में रखा था । बाद में वह जमानत पर बाहर आया । इसी बीच नेपाल में हुए स्थानीय निकाय के चुनावों में वह माओवादी के टिकट पर चुनाव लड़ा और भारतीय सीमा से सटे नेपाल के जगन्नाथ पुर गांवपालिका का प्रधान निर्वाचित हो गया ।
जालिम मियां पर हाल ही में नेपाल में हुए मुस्लिम धर्मावलंबियों के सबसे बड़े जलसे इज्तिमा के बहाने पाकिस्तानी नागरिकों को नेपाल बुलाने और उन्हें नेपाली परिचय पत्र उपलब्ध कराते हुए भारत के निजामुद्दीन इलाके में स्थित मरकज में भेजने का आरोप भी है । अपराध पर राजनीति का पर्दा डाले हुए जालिम मियां को नेपाल के सत्तारूढ़ दल के अध्यक्ष और माओवादी नेता प्रचंड का समर्थन प्राप्त है।
इस साल 15 से 17 जनवरी के बीच नेपाल के सप्तरी जिले में मुसलमानों का बहुत बड़ा जलसा तबलीगी जमात का इज्तिमा हुआ था, जिसमें नेपाल, भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, खाड़ी के देशों सहित करीब 18 देशों से मुसलमानों ने शिरकत की थी । इस में करीब ढाई से तीन लाख लोगों ने शिरकत की थी और इसका प्रमुख अतिथि वक्ता नई दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज मस्जिद का मौलाना साद ही था । पहले तो सुरक्षा का हवाला देते हुए नेपाल सरकार ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया था । बाद में नेपाल, भारत के अलावा बाकी देशों के मुसलमानों को वापस भेजने की शर्त पर इस कार्यक्रम को करने की अनुमति दी गई थी ।
हालांकि, बाद में मालूम चला कि पाकिस्तान से आने वाले सभी नेपाल में ही रह गए । इन सभी को जालिम मियां ने ही पनाह देकर रखा हुआ था । जब भारत में तबलीगी जमात का मामला सामने आया, तो यहां भी अफरा-तफरी मची. सभी मुसलमानों को अलग-अलग मस्जिदों में छिपा दिया गया । नेपाल पुलिस ने छापा मारकर 50 से अधिक पाकिस्तानी मौलवियों को हिरासत में ले लिया है. जालिम मियां के घर से ही 11 पाकिस्तानी नागरिकों को नियंत्रण में लेकर क्वारनटीन में रखा गया है ।
भारत के सीमावर्ती शहर रक्सौल से सटा नेपाल का शहर जालिम मियां के आतंक से दशकों से त्रस्त है। लकड़ी की तस्करी से शुरुआत करने वाले जालिम मियां पर आईएसआई के इशारे पर भारतीय जाली नोट के कारोबार से लेकर हिंदूवादी नेता की हत्या तक का इल्जाम है।