साल 2008 में संयुक्त राष्ट्र की महासभा ने पहली बार World Sickle Cell Day मनाने की शुरुआत की थी ताकि इस बीमारी को सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में पहचान मिल सके। इसके बाद संयुक्त राष्ट्र ने वैश्विक रूप से 19 जून को World Sickle Cell जागरूकता दिवस के रूप में मनाना शुरू किया। Sickle Cell बीमारी सामान्य रूप से उन लोगों में देखने को मिलती है जो अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका, कैरिबियन द्वीप, मध्य अमेरिका, सऊदी अरब, भारत और भूमध्यसागरीय देशों जैसे- तुर्की, ग्रीस और इटली में रहते हैं। WHO की मानें तो हर साल करीब 3 लाख से अधिक बच्चे Hemoglobin बीमारी के गंभीर रूपों के साथ पैदा होते हैं जिसमें थैलेसीमिया और सिकल सेल बीमारी शामिल है। दुनिया की करीब 5 प्रतिशत आबादी ऐसी है जो Sickle Cell बीमारी की स्वस्थ वाहक है।
Sickle Cell खून से जुड़ी बीमारी है जो शरीर की लाल रक्त कोशिकाएं को प्रभावित करती है और यह आमतौर पर माता-पिता से बच्चों में वंशानुगत मिलती है। आमतौर पर लाल रक्त कोशिकाओं में Hemoglobin होता है लेकिन जिन लोगों को Sickle Cell बीमारी होती है उनकी लाल रक्त कोशिकाओं में ज्यादातर Hemoglobin एस होता है जो कि Hemoglobin का असामान्य प्रकार है। इस कारण लाल रक्त कोशिकाओं का आकार बदल जाता है और वे सिकल शेप के बन जाते हैं। चूंकि सिकल के आकार वाली ये लाल रक्त कोशिकाएं छोटी-छोटी रक्त धमनियों से गुजर नहीं पातीं इसलिए शरीर के उन हिस्सों में बेहद कम खून पहुंचता है। जब शरीर के किसी ऊतक तक सामान्य खून नहीं पहुंचता तो वह हिस्सा क्षतिग्रस्त होने लगता है।
क्या सिकल आकार के रक्त कोशिकाओं वाला व्यक्ति अपनी ही बीमारी से अनजान हो सकता है?
जिस व्यक्ति को Sickle Cell बीमारी होती है उसमें तो बीमारी के लक्षण दिखते हैं लेकिन Sickle Cell विशेषता वाले व्यक्ति में कोई लक्षण नजर नहीं आते। Sickle Cell विशेषता या trait एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति को अपने माता-पिता में से किसी एक से पैतृक रूप से यह Sickle Cell जीन प्राप्त होता है लेकिन बीमारी नहीं मिलती। ऐसे व्यक्ति स्वस्थ जीवन जीता है। लेकिन अगर उनके जीवनसाथी को भी Sickle Cell ट्रेट हो तो उनके बच्चे को Sickle Cell बीमारी होने का खतरा अधिक होता है।
सिकल सेल बीमारी के लक्षण
Sickle Cell बीमारी के लक्षण बच्चे के जन्म के 5 या 6 महीने के बाद से ही दिखने शुरू हो जाते हैं। इस बीमारी के सामान्य संकेतों और लक्षणों में ये चीजें शामिल हैं- शरीर में दर्द और कई बार बैक्टीरियल संक्रमण होना, हाथों और पैरों में सूजन, एनीमिया, दृष्टि संबंधी समस्याएं, हड्डियों को नुकसान और प्यूबर्टी या प्रौढ़ता आने में देरी।
सिकल सेल बीमारी कितने तरह की होती है?
सिकल सेल बीमारी मुख्य रूप से 4 तरह की होती है-
सिकल सेल एनीमिया
सिकल हीमोग्लोबिन-सी डिजीज
सिकल बीटा-प्लस थैलसीमिया
सिकल बीटा-जीरो थैलसीमिया
सिकल सेल बीमारी का इलाज
अगर इस बीमारी का जल्द से जल्द डायग्नोसिस हो जाए और उचित चिकित्सीय देखभाल मिले तो Sickle Cell रोग को सही तरीके से मैनेज किया जा सकता है। इस तरह के बच्चों को जन्म के तुरंत बाद कुछ वैक्सीन दी जाती है जिसमें पेनीसीलियन प्रोफाइलैक्सिस और न्यूमोकॉकस बैक्टीरिया के लिए दिया जाने वाला टीका शामिल है। साथ ही में फोलिक एसिड सप्लीमेंट भी। Sickle Cell बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को जीवनभर चिकित्सीय सहायता की जरूरत होती है क्योंकि बीमारी के इलाज में एंटीबायोटिक्स, इंट्रावीनस फ्लूइड, नियमित रूप से खून चढ़ाना और कई बार सर्जरी की भी जरूरत पड़ती है।