पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा है कि वह किसी और का युद्ध लड़ने को तैयार नहीं है। माना जा रहा है कि ईरान के साथ बढ़े तनाव के बाद अमेरिका को एक बार फिर अमेरिका का साथ चाहिए। क्योंकि पश्चिम एशिया में अपनी गतिबिधियों और रणनीतियों को अंजाम देने के लिए अमेरिका को पाकिस्तान की सरजमीं की आवश्यकता होगी। बदली परिस्थितियों में अमेरिका के लिए पाकिस्तान की अहमियत इसी बात से समझी जा सकती है कि ईरानी कमांडर की हत्या के तुरंत बाद अमेरिकी रक्षा माइक पोंपिओ ने पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा से फोन पर वार्ता की।
लेकिन अमेरिका-ईरान के बीच चरम पर पहुंचे तनाव के बीच शुक्रवार को पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा, पाकिस्तान किसी और के युद्ध में शामिल नहीं होगा, क्योंकि वह पहले ऐसी गलती कर चुका है। लेकिन वह अन्य देशों के बीच उत्पन्न मतभेदों को दूर करने का प्रयास करेगा। श्री खान ने इस्लामाबाद में एक कार्यक्रम के दौरान अमेरिका और ईरान के बीच एक बार फिर मध्यस्ता करने की पेशकश करते हुए कहा, मैं आज अपनी विदेशी नीति का उल्लेख करना चाहूंगा कि अन्य देशों के युद्ध में शामिल होने की अपनी पहले की गलतियों को नहीं दोहराएंगे। पाकिस्तान किसी और के युद्ध में शामिल नहीं होगा। पाकिस्तान अन्य देशों के बीच शांति स्थापित करने का प्रयास करने वाला देश बनेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि ईरान-सऊदी अरब और अमेरिका- ईरान के बीच जारी मतभेदों को दूर करने के लिए पाकिस्तान हर संभव कोशिश करेगा। उन्होंने कहा, हम ईरान और सऊदी के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों को दोबारा मधुर करने का प्रयास करेंगे। मैंने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से भी ईरान और अमेरिका के बीच मतभेदों को दूर करने के लिए मध्यस्ता करने की पेशकश की है। श्री खान ने पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव के मद्देनजर कहा कि युद्ध से कोई भी विजयी नहीं होता है और युद्ध में जीतने वाला ही असल हारने वाला होता है। पाकिस्तान ने अतीत में आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में हिस्सा लेकर भारी कीमत चुकायी थी लेकिन अब वह किसी अन्य देश के साथ युद्ध में शामिल होने की बजाय अन्य देशों के बीच मतभेदों को दूर करने का प्रयास करेगा।