आज है विश्‍वकर्मा जयंती,जानिए पूजा विधि और आरती का महत्व

विश्‍वकर्मा पूजा का महत्‍व
भगवान विश्‍वकर्मा के जन्‍मदिन को विश्‍वकर्मा पूजा, विश्‍वकर्मा दिवस या विश्‍वकर्मा जयंती के नाम से जाना जाता है। इस पर्व का हिन्‍दू धर्म में विशेष महत्‍व है। मान्‍यता है कि इस दिन भगवान विश्‍वकर्मा ने सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा के सातवें धर्मपुत्र के रूप में जन्‍म लिया था। भगवान विश्‍वकर्मा को ‘देवताओं का शिल्‍पकार’, ‘वास्‍तुशास्‍त्र का देवता’, ‘प्रथम इंजीनियर’, ‘देवताओं का इंजीनियर’ और ‘मशीन का देवता’ कहा जाता है। विष्‍णु पुराण में विश्‍वकर्मा को ‘देव बढ़ई’ कहा गया है। यही वजह है कि हिन्‍दू समाज में विश्‍वकर्मा पूजा का विशेष महत्‍व है।
विश्‍वकर्मा पूजा के मौके पर ज्‍यादातर दफ्तरों में छुट्टी होती है और कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इस दौरान औजारों, मशीनों और दुकानों की पूजा करने का विधान है। अपनी शिल्‍प कला के लिए मशहूर भगवान विश्‍वकर्मा सभी देवताओं में आदरणीय हैं। पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार विश्‍वकर्मा सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा के सातवें धर्म पुत्र हैं। हर साल 17 सितंबर को उनके जन्‍मदिवस को विश्‍वकर्मा जयंती के रूप में मनाया जाता है।
कौन हैं भगवान विश्‍वकर्मा?
भगवान विश्‍वकर्मा को निर्माण का देवता माना जाता है। मान्‍यता है कि उन्‍होंने देवताओं के लिए अनेकों भव्‍य महलों, आलीशान भवनों, हथियारों और सिंघासनों का निर्माण किया। मान्‍यता है कि एक बार असुरों से परेशान देवताओं की गुहार पर विश्‍वकर्मा ने महर्षि दधीची की हड्डियों देवताओं के राजा इंद्र के लिए वज्र बनाया। यह वज्र इतना प्रभावशाली था कि असुरों का सर्वनाश हो गया। यही वजह है कि सभी देवताओं में भगवान विश्‍वकर्मा का विशेष स्‍थान है। विश्‍वकर्मा ने एक से बढ़कर एक भवन बनाए।

विश्‍वकर्मा पूजा विधि
सबसे पहले स्‍नान करने के बाद अपनी गाड़ी, मोटर या दुकान की मशीनों को साफ कर लें।
उसके बाद स्‍नान करें।
घर के मंदिर में बैठकर विष्‍णु जी का ध्‍यान करें और पुष्‍प चढाएं।
एक कमंडल में पानी लेकर उसमें पुष्‍प डालें।
अब भगवान विश्‍वकर्मा का ध्‍यान करें।
अब जमीन पर आठ पंखुड़‍ियों वाला कमल बनाएं।
अब उस स्‍थान पर सात प्रकार के अनाज रखें।
अनाज पर तांबे या मिट्टी के बर्तन में रखे पानी का छिड़काव करें।
अब चावल पात्र को समर्पित करते हुए वरुण देव का ध्‍यान करें।
अब सात प्रकार की मिट्टी, सुपारी और दक्षिणा को कलश में डालकर उसे कपड़े से ढक दें।
अब भगवान विश्‍वकर्मा को फूल चढ़ाकर आशीर्वाद लें।
अंत में भगवान विश्‍वकर्मा की आरती उतारें।

विश्‍वकर्मा की आरती
ॐ जय श्री विश्वकर्मा प्रभु जय श्री विश्वकर्मा।
सकल सृष्टि के कर्ता रक्षक श्रुति धर्मा ॥

आदि सृष्टि में विधि को, श्रुति उपदेश दिया।
शिल्प शस्त्र का जग में, ज्ञान विकास किया ॥

ऋषि अंगिरा ने तप से, शांति नही पाई।
ध्यान किया जब प्रभु का, सकल सिद्धि आई॥

रोग ग्रस्त राजा ने, जब आश्रय लीना।
संकट मोचन बनकर, दूर दुख कीना॥

जब रथकार दम्पती, तुमरी टेर करी।
सुनकर दीन प्रार्थना, विपत्ति हरी सगरी॥

एकानन चतुरानन, पंचानन राजे।
द्विभुज, चतुर्भुज, दशभुज, सकल रूप साजे॥

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