चंद्रयान 2 मिशन के विक्रम लैंडर से इसरो का संपर्क टूट गया और ISRO की योजना के अनुसार होने वाली सॉफ्ट लैंडिंग सफल नहीं हो पायी । बाद में ऑर्बिटर द्वारा भेजी गई हाई रिजॉल्यूशन वाली तस्वीरों से लैंडर के करंट लोकेशन का पता चल गया। यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ईएसए) की एक रिपोर्ट के अनुसार चांद के दक्षिणी ध्रुव में जहां विक्रम लैंडर की लैंडिंग हुई वो एक बहुत ही खतरनाक इलाका है।
यूरोपियन स्पेस एजेंसी का भी उस इलाके में लैंडिग कराने का प्लान था , जो असफल रहा था । इसी दौरान एजेंसी ने एक रिपोर्ट तैयार की गयी थी जिससे कई महत्वपूर्ण जानकारियां उपलब्ध हुई हैं। इस एजेंसी ने चंद्रयान की तरह ही लूनर लैंडर नाम से एक मिशन को शुरू किया था । योजना के मुताबिक लूनर लैंडर चांद पर 2018 में उतरने वाला था। इस मिशन को फण्ड क्राइसिस की वजह से बीच में रोक देना पड़ा ।
मिशन को शुरू करने के लिए योजना बनाने से पहले चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग से जुड़े खतरों और अटकलों को लेकर एक रिपोर्ट तैयार की गई थी। इस रिपोर्ट के अनुसार इस जग़ह की सतह पर एक जटिल पर्यावरण उपस्तिथ है। इसकी सतह पर मौजूद धूल में चार्ज्ड पार्टिकल्स मिलते हैं। रिपोर्ट के अनुसार लैंडर के एक्विपमेंट में चांद की धूल पड़ने से मशीनें बिगड़ सकती है , सोलर पैनल्स धूल से भर सकते हैं और एक्विपमेंट्स काम करना बंद कर सकते हैं।