आज लोकसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह नागरिकता संशोधन विधेयक पेश करेंगे। आपको बता दें साठ साल पुराने इस नागरिकता कानून को बदलने के लिए मोदी सरकार ने अब पूरी तैयारी कर ली है। आज ये विधेयक लोकसभा में दैनिक कामकाज के तहत सूचीबद्ध है। इस बावत पार्टी ने अपने सांसदों को 3 दिनों के लिए व्हिप जारी किया है। अगर ये बिल कानून बन जाता है तो पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न के कारण वहां से भागकर आए हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म को मानने वाले लोगों को CAB के तहत भारत की नागरिकता दी जाएगी।
नागरिकता संशोधन विधेयक काफी संवेदनशील है। इसलिए इस विधेयक को लेकर विपक्ष की ओर से विरोध हो रहा है। दरअसल इस बिल के प्रावधान के मुताबिक पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले मुसलमानों को भारत की नागरिकता नहीं दी जाएगी। जहां एक तरफ कांग्रेस समेत कई पार्टियां इस बिल का विरोध कर रही हैं, तो वहीं दूसरी ओर असम में भी इस बिल का जोरदार विरोध हो रहा है। असम के कई संगठन और पार्टियां इस बिल का ये कह कर विरोध कर रही हैं कि इससे असमिया पहचान पर संकट आएगी और उनकी पहचान प्रभावित होगी। नागरिकता संशोधन विधेयक के कानून बनने के बाद 1985 में हुए असम समझौते के प्रावधानों को बेअसर हो जाएंगे। 1985 के असम समझौते के मुताबिक असम में 24 मार्च 1971 से पहले आए लोगों को असम की नागरिकता दी गई थी।