नीतीश कुमार हुए सियासी ‘सफोकेशन’ के शिकार, डबल ‘L’ के बीच में फंसने से पॉलिटिकल प्लानिंग हुई चौपट, जानें
चलती चक्की देख के दिया कबीरा रोय। दो पाटन के बीच में साबुत बचा न कोय। कबीर की ये पंक्तियां बहुत मार्मिक है। इसका अर्थ ये है कि चक्की दो पाटों की होती है। उसमें अन्न के दाने पिसते हैं। यह संसार एक विशाल चक्की है जो निरंतर चलते रहती है। इसी प्रकार इस मृत्युलोक …