‘पितामह’ के पैंतरे से चित हुए ‘चाणक्य’, ऑपरेशन कमल पर भारी पड़ा पवार का ‘पावर’

महाराष्ट्र में NCP नेता अजित पवार के समर्थन से बनी BJP की सरकार महज ८० घंटों के भीतर गिर गई। पूरे घटनाक्रम में भाजपा के ‘ऑपरेशन कमल’ पर शरद पवार की पावर भारी पड़ी। BJP सरकार के खिलाफ शिवसेना, NCP और कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि राज्यपाल ने असंवैधानिक तरीके से देवेंद्र फडणवीस को सीएम और अजित पवार को डिप्टी सीएम पद की शपथ दिलाई है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में फ्लोर टेस्ट कराए जाने का आदेश दे दिया और फ्लोर टेस्ट से पहले ही सीएम देवेंद्र फडणवीस और डिप्टी सीएम अजित पवार ने अपने-अपने पदों से इस्तीफा दे दिया।

भतीजे अजित पवार के BJP के साथ जाने के बाद शरद पवार ने इमोशनल कार्ड के जरिए BJP के ‘ऑपरेशन कमल’ को शिकस्त दी। शरद पवार ने अपने भरोसेमंद और वरिष्ठ नेताओं की टीम को मैदान में उतारा, जिन्हें अजित पवार को मनाने की जिम्मेदारी सौंपी गयी। सरकार गठन के बाद बदले समीकरणों में NCP के नेताओं ने अजित पवार को भरोसा दिलाया कि अगर वो अपना फैसला बदलते हैं तो उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी और पार्टी में उनकी सम्मानपूर्वक वापसी होगी।

अजित पवार को लेकर शरद पवार का दांव सटीक रहेगा, इसका भलीभांति अंदाजा कांग्रेस आलाकमान को भी था। इसीलिए कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने भी बयान दिया कि अगर अजित पवार जरा भी समझदार हैं तो उन्हें अपने पद से इस्तीफा देकर वापस हमारे साथ आना चाहिए। बीते 4 दिनों के दौरान NCP के प्रवक्ता नवाब मलिक भी पूरे आत्मविश्वास के साथ यह कहते हुए नजर आए कि अजित पवार को मनाने की कोशिशें लगातार जारी हैं। इससे पहले सोमवार शाम को होटल में 162 विधायकों के एकजुट होने से अजित पवार पर अपना फैसला वापस लेने का दबाव बढ़ गया।

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