ब्रिटेन से क्यों लौटे राणा कपूर? सरकार ने अब क्यों उठाया कदम?

विजय माल्या की तरह आज YES BANK के फाउंडर राणा कपूर भी लंदन में ‘मौज’ ले रहे होते, लेकिन सरकार और RBI ने बेहद चालाकी से राणा को उन्हीं के जाल में फंसा लिया। YES BANK को दोबारा अपनी मुट्ठी में लेने की चाहत में वह ED के शिकंजे में जा पहुंचे। आइए आपको बताते हैं इस केस की इनसाइड स्टोरी…

पिछले करीब 8 महीनों में कम से कम तीन ऐसे मौके आए, जब लगा कि YES BANK में निवेश का सौदा फाइनल होने ही वाला है, तभी संभावित निवेशकों ने कदम पीछे खींच लिए। कुछ समय के लिए तो RBI और सरकार भी समझ नहीं आया कि चल क्या रहा है।

बाद में राणा कपूर ने अपने सूत्रों के जरिए सरकार और रिजर्व बैंक को यह इशारा किया कि वह बैंक में वापसी के लिए उत्सुक हैं। इससे सरकार और RBI को शक हुआ कि बैंक की हालत बदलने के लिए तैयार किए जा रहे प्लान को राणा ही फेल कर रहे हैं। इस मामले से जुड़े एक उच्च पदस्थ सूत्र ने बताया कि एक केस में तो RBI ने एक निवेशक से पैसा भी जमा कराने को कह दिया था। सूत्र ने कहा, ‘हर बार जब सौदा लगभग तय हो जाता था, राणा के लोग निवेशक से मिलते और उन्हें इससे दूर रहने के लिए कहते थे।’

राणा कपूर कई महीनों से लंदन में रह रहे थे। बताया जाता है कि कपूर को लंदन से भारत लाने के लिए रिजर्व बैंक ने राणा को इस तरह के संदेश दिए कि यस बैंक में निवेश के सभी प्रयास विफल होने की वजह से उनकी बैंक में वापसी हो सकती है, जिसकी उन्होंने 2004 में स्थापना की थी। दोबारा यस बैंक के कर्ताधर्ता बनने का सपना लेकर जैसे ही राणा भारत लौटे, कई जांच एजेंसियों ने उन्हें सर्विलांस पर रखना शुरू कर दिया, ताकि वह देश छोड़कर जा ना सकें। सूत्रों ने बताया कि कई बार तो ऐसा भी हुआ कि जब वह रडार से बाहर हो गए तो चिंता बढ़ गई।

राणा नीरव मोदी की तरह मुंबई के वर्ली में समुद्र किनारे आलिशान अपार्टमेंट में रह रहे थे। यह मुंबई ही नहीं देश के सबसे महंगे घरों में से एक है। यहां पहुंचने पर ED अधिकारियों को बिल्डिंग गार्ड्स से पता चला कि कपूर भारत छोड़ने का प्लान बना रहे हैं। संभवत: उन्हें अहसास हो गया था कि RBI और सरकार के प्लान में उनके लिए कोई जगह नहीं है।

YES BANK के बोर्ड की मीटिंग 14 मार्च के लिए प्रस्तावित थी, जिसमें तिमाही नतीजों पर चर्चा होती। इस बात को लेकर चिंता बढ़ रही थी कि यस बैंक संकट बढ़ सकता है। सितंबर में बैंक ने 16 हजार करोड़ रुपये बैड लोन की घोषणा की थी। बड़े जमाकर्ता अपना पैसा बैंक से निकाल रहे थे। सरकार में भी इस बात को लेकर चर्चा हुई कि क्या कपूर को गिरफ्तार कर लिया जाए या फोकस अभी स्टेट बैंक के नेतृत्व में नए निवेशक लाने पर रहे।

अंत में सरकार ने ऋण स्थगन (मॉरटॉरीअम) की तरह प्रतिबंध लगाते हुए पुनर्गठन प्लान की घोषणा कर दी। इसके साथ ही राणा कपूर के खिलाफ ऐक्शन को हरी झंडी दे दी। मॉरटॉरीअम की घोषणा आमतौर पर वीकेंड में होती है जब बाजार बंद होता है और आर्थिक गतिविधियां कम हो रही होती हैं और यह 14 मार्च से पहले आखिरी वीकेंड था।

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