लोकसभा चुनाव में बड़ी हार के बाद कांग्रेस को राजस्थान के निकाय चुनाव में बड़ी सफलता हासिल हुई है। प्रदेश के 49 नगरीय निकायों के लिए 16 नवंबर को हुए चुनाव में पार्टी ने 20 निकायों में स्पष्ट बहुमत हासिल किया है, वहीं प्रतिपक्षी भाजपा सिर्फ 6 निकायों में स्पष्ट बहुमत हासिल कर पाई है। शेष बचे 23 निकायों में से पांच निकायों में निर्दलीय दोनों दलों पर भारी पड़े हैं, वहीं 18 निकायों में भाजपा और कांग्रेस को निर्दलीय व अन्य दलों के जीते हुए पार्षदों का सहयोग लेना पड़ेगा।
इस हिसाब से निर्दलीय और अन्य दलों के प्रत्याशियों के हाथ में इस बार लगभग आधे निकायों की सत्ता की चाबी है। इस चुनाव में 2105 वार्डों के लिए चुनाव हुआ था। इनमें से कांग्रेस को 961, भाजपा को 737, बसपा को 16, माकपा को तीन, अन्य को दो और निर्दलियों को 386 सीटें मिली हैं। अब सबकी नजर 26 नवंबर को होने वाले निकाय अध्यक्ष चुनावों पर हैं। इसके लिए दोनों बड़ी पार्टियों ने अपने जीते हुए पार्षदों की घेराबंदी कर ली है और निर्दलीय व अन्य दलों के निर्वाचित पार्षदों को अपने पक्ष में करने की कोशिशें शुरू कर दी हैं।
राजस्थान में निकाय और पंचायत चुनाव में आमतौर पर उसी दल को बढ़त मिलती रही है, जिसकी प्रदेश में सरकार होती है और यह परंपरा इस बार भी कायम रही है। राजस्थान के 195 में से 49 निकायों में यह चुनाव हुआ था। इनमें से छह नगरपालिकाएं नई थीं। वर्ष 2014 में जिन 43 निकायों में चुनाव हुआ था, उनमें से 36 में से भाजपा का बोर्ड था, जबकि सात में कांग्रेस का बोर्ड था। ऐसे में पिछले चुनाव से तुलना की जाए तो इस बार परिणाम लगभग पूरी तरह पलट गया है और परंपरानुसार कांग्रेस को बढ़त मिली है।