गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को राज्यसभा में नागरिकता संशोधन बिल पेश करते हुए कहा कि इस बिल के बारे में गलत अफवाह फैलाई जा रही है । अमित शाह ने कहा कि कहा जा रहा है कि यह बिल मुसलमानों के खिलाफ है । लेकिन मैं कहता हूँ कि इस देश के मुसलमानों के लिए चिंता की कोई बात नहीं है । वे नागरिक थे, हैं और रहेंगे । मुसलमान किसी के बहकावे में नहीं आएं । उन्हें कोई प्रताड़ित नहीं करेगा । गृह मंत्री ने कहा कि इस बिल के प्रावधान में, लाखों, करोड़ों लोग जो नर्क की यातना का जीवन जी रहे हैं, उन्हें नई आशा दिखाने का ये बिल है । विभाजन के बाद हमारी कल्पना थी कि जो नागरिक यहां अल्पसंख्यक रहते हैं और जो पड़ोसी देश में अल्पसंख्यक हैं वो सम्मान के साथ जीवन जी पाएंगे । अपने धर्म का सम्मान के साथ पालन कर पाएंगे, अपने परिवार का सम्मान से रक्षण कर पाएंगे । लेकिन दशकों बाद इसकी तरफ हम देखते हैं तो कटु सच्चाई ये सामने आई है कि बांग्लादेश, पाकिस्तान या अफगानिस्तान में अल्पसंख्यकों को सम्मान का जीवन नहीं मिला । वहां अल्पसंख्यकों की घोर प्रताड़ना हुई ।
अमित शाह ने कहा कि पाकिस्तान और उस समय के पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में लगभग 20- 20% अल्पसंख्यकों की आबादी कम हो चुकी है । आखिर कहां गए वो लोग, या तो वो मार दिए गए या धर्म परिवर्तन हो गया या वो लोग शरणार्थी बनकर अपने धर्म और सम्मान को बचाने के लिए भारत आ गए । अमित शाह ने कहा कि जो लोग कह रहे हैं कि हम वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं, मैं उन सब साथियों को कहना चाहता हूं कि हमने चुनाव के पहले ही ये इरादा देश के सामने रखा था, जिसे देश की जनता ने समर्थन दिया है । इस बिल में हम तीनों पडोसी देशों (पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान) के धार्मिक अल्पसंख्यकों को संरक्षण देकर उनको नागरिक बनाने की प्रक्रिया का संशोधन लेकर आए हैं । अमित शाह ने कहा कि जो इस देश के मुसलमान हैं उनके लिए इस बिल में कोई चर्चा या चिंता का उल्लेख नहीं है । फिर ये किसकी चिंता कर रहे हैं?