एकमात्र मंदिर जहां दिन में तीन बार चढ़ाई जाती है 52 गज की ध्वजा, श्रद्धालुओं की लगती है कतार

द्वारका शब्द ‘द्वार’ और ‘का से मिलकर बना है। का अर्थ है ब्रह्म। द्वारका को ब्रह्म की ओर ले जाने वाला मार्ग बताया गया है। सनातन धर्म की चार पीठों में से एक द्वारका पीठ यहीं पर है। मुख्य मंदिर है द्वारका जगत मंदिर। माना जाता है कि 400 ईसा पूर्व भगवान श्रीकृष्ण के वंशज वज्रनाभ ने इसका निर्माण कराया था। द्वारका मंदिर व्यवस्था समिति का दावा है कि द्वारका भारत का एक मात्र ऐसा मंदिर है जहां पर 52 गज की ध्वजा दिन में तीन बार चढ़ाई जाती है। श्रद्धालुओं को यहां ध्वजा चढ़ाने के लिए अपनी बारी आने में दो-दो साल तक का इंतजार करना पड़ता है।

अनेक वर्षों से जगत मंदिर के शिखर पर ध्वजा (स्थानीय भाषा में धजा) चढ़ाने की परंपरा है। गत 30 वर्षों से ध्वजा बनाने और चढ़ाने का काम स्थानीय निवासी भरत त्रिवेदी का परिवार नि:शुल्क करता आ रहा है। मंदिर के पुजारी परेश भाई बताते हैं कि यह रक्षा ध्वज है, जो मंदिर और नगर की रक्षा करता है। ऐसी मान्यता है कि ध्वजा नवग्रह को धारण किए होती है, जो रक्षा कवच का काम करती है। स्थानीय निवासी गोपी मणियार बताती हैं कि करीब 50 मीटर ऊंचे शिखर पर तेज हवाओं के झौंकों के बीच 52 गज की ध्वजा चढ़ाना बहुत मुश्किल होता है।

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गत दिनों आए ‘वायु’ चक्रवात के वक्त खासी दिक्कत आई। ध्वजा उतारी नहीं जा सकी तो उसी के ऊपर दूसरी ध्वजा चढ़ानी पड़ी। बावजूद इसके कि प्रतिदिन तीन ध्वजाएं चढ़ाई जाती हैं, ध्वजा चढ़ाने के इच्छुक श्रद्धालुओं की लंबी प्रतीक्षा सूची बनी रहती है। राजस्थान से पहुंचे उम्मेद सिंह चंपावत ने बताया कि द्वारकाधीश को ध्वजा भेंट करने के लिए उन्हें करीब 18 माह तक इंतजार करना पड़ा, तब जाकर उनकी बारी आई। ध्वजा को लेकर मंदिर के गर्भगृह तक पहुंचना और फिर उसे शिखर पर फहराते देखना अपने आप में दिव्य अनुभूति रही। मंदिर व्यवस्था समिति के उपाध्यक्ष धनराज नथवाणी जो रिलायंस समूह के वरिष्ठ पदाधिकारी भी हैं, बताते हैं कि गुजरात सरकार और मंदिर ट्रस्ट व व्यवस्था समिति ने मंदिर के एक छोर से सटे 166 मीटर लंबे सुदामा सेतु का निर्माण कराया है। समुद्र पर बना यह पुल मंदिर को लक्ष्मीनारायण पंचतीर्थ से जोड़ता है।
सुदामा सेतु होकर श्रद्धालु गोमती में स्नान करके ‘ब्रह्म द्वार’ से निज मंदिर पहुंचते हैं और दर्शन के बाद ‘मोक्ष द्वार’ से बाहर निकलते हैं। रिलायंस समूह भी सड़क निर्माण और सीसीटीवी कैमरे लगवाने सहित विकास कार्यों में योगदान देता आया है।

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