प्याज़ की क़ीमत में अभी और कम से कम कुछ दिनों तक किसी भी तरह की उम्मीद नहीं है। प्याज़ की सप्लाई की दिक्कत को दूर करने के लिए आयात होने वाले प्याज़ को देश पहुंचने में अभी वक़्त लग सकता है, जिसके चलते प्याज़ की कीमत आसमान पर ही रहेगी।
केंद्र सरकार ने कैबिनेट की बैठक में 1.2 लाख मीट्रिक टन प्याज़ आयात करने का फ़ैसला किया था। उसी फ़ैसले के मद्देनज़र अब सरकारी व्यापार कम्पनी एमएमटीसी ने 22 नवम्बर को 6090 मीट्रिक टन प्याज़ आयात का ठेका दिया है। सूत्रों के अनुसार मिश्र से प्याज़ के आयात का ऑर्डर दिया गया है लेकिन वहां से आयात होने वाले प्याज़ को नावा शेवा बंदरगाह (मुम्बई) पहुंचने में कम से कम 15 दिनों का समय लग सकता है। प्याज दिसम्बर के पहले हफ़्ते में ही भारत पहुंच पाएगा। तबतक प्याज की इसकी क़ीमत जस की तस बनी रह सकती है।
आयात होने वाले प्याज़ को एमएमटीसी दो दरों पर राज्यों को मुहैया करवाएगी। दिल्ली में जहां ये 60 रुपए प्रति किलो तो मुम्बई में क़रीब 54 रुपए किलो की दर पर मुहैया करवाया जाएगा। हालांकि, ख़ुदरा बाज़ार तक पहुंचने में प्याज का दाम औसतन 15-20 रुपए प्रति किलो तक बढ़ जाता है।
दिल्ली में जहां ख़ुदरा कीमत 70 रुपए प्रति किलो है वहीं मुम्बई में ये कीमत 75 रुपए प्रति किलो तक है। बाज़ार में असली क़ीमत सरकारी आंकड़ों से अमूमन 5-10 रुपए प्रति किलो ज़्यादा ही रहती है। उत्तर पूर्व में अरुणाचल प्रदेश में तो प्याज़ के दाम 95 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गए हैं। इसकी एक बड़ी वजह घरेलू प्याज़ की सप्लाई में कमी है। पिछले महीने महाराष्ट्र और राजस्थान जैसे राज्यों में बेमौसम बरसात और आंधी पानी ने प्याज़ को काफी नुकसान पहुंचाया जिसके चलते इसका सीधा असर प्याज़ की सप्लाई पर पड़ा।