ज्यादातर देखा जाता है कि जब बच्चे बीमार होते हैं तो उनके माता- पिता घरेलू इलाज करने में लग जाते है जब कि ये छोटे बच्चों के लिए बिल्कुल सेफ नहीं होता है। नोएडा के नवजात शिशु विशेषज्ञ अरुण कुमार सिंह ने बताया कि बच्चों की बीमारियों को लोग बेहद गंभीरता से नहीं लेते है। क्यों कि छोटे बच्चों की इम्युनिटी कम होती है , और मौसम बदलने पर उन्हें बुखार आ जाता है, लेकिन अगर बच्चें को दो से तीन दिन तक बुखार आता है तो तुरंत ही डॉ. को दिखा लेना चाहिए।
डॉ. को कहना है कि अगर बच्चे को सांस लेने में परेशानी हो रही है या फिर अगर सांस में आवाज आ रही है और बच्चा तेजी से सांस ले रहा है तो तत्काल नजदीकी डॉक्टर के पास जाएं ताकि उसे सही समय पर इलाज मिल सके।
डॉक्टर ने कहा कि अक्सर लोग बच्चों की उल्टियों को भी गंभीरता से नहीं लेते। देखने में आया है कि उल्टियों और दस्त के कारण बच्चों के शरीर में पानी की कमी हो जाती है। इसके लक्ष्णों को अक्सर लोग समझ नहीं पाते और घरेलू इलाज करने लगते हैं लेकिन ऐसे में डॉक्टर से मिल लेना चाहिए।
डॉक्टर अरुण ने कहा कि अक्सर बच्चों की स्किल पर चकत्ते भी हो जाते हैं जिनको नॉर्मल समझा जाता है लेकिन कई बार ये गंभीर भी हो सकते हैं और वक्त पर इनका इलाज किया जाना चाहिए।
दरअसल बच्चे अपनी बीमारी बता नहीं पाते, कुछ बोल नहीं पाते ,कुछ कह नहीं सकते, जिसके कारण परिवार के लोगों को बच्चें के तकलीफों का पता नहीं चल पाता। ऐसे में विशेषज्ञ डॉक्टर से मिलना सही रहता है।