नवरात्रि के पांचवा दिन स्कंदमाता की होती है पूजा…

स्कंदमाता की पूजा करने से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। शत्रु का भय समाप्त होता है। जीवन में आने वाले संकटों को मां दूर करती हैं। नवरात्रि में Skandamata की पूजा करने से बल और ज्ञान में भी वृद्धि होती है। कहा जाता है कि जिन लोगों को त्वचा संबंधी रोग होते हैं अगर वे Skandamata की पूजा विधि पूर्वक करते हैं तो उन्हें रोग में आराम मिलता है। बेहतर स्वास्थ्य के लिए भी मां Skandamata की पूजा करने की परंपरा है। संतान प्राप्ति के लिए भी मां Skandamata की पूजा की जाती है।

स्कंदमाता की कथा

देवी Skandamata कमल के पुष्प पर अभय मुद्रा में होती हैं। मां रूप बहुत सुंदर है। उनके मुख पर तेज है। Skandamata ही हिमालय की पुत्री पार्वती हैं, जिन्हें माहेश्वरी और गौरी के नाम से भी जाना जाता है। इनका वर्ण गौर है। इसलिए इन्हें देवी गौरी भी कहा जाता है। भगवान स्कंद यानि कार्तिकेय की माता होने के कारण इनका नाम स्कंदमाता पड़ा। Skandamata प्रसिद्ध देवासुर संग्राम में देवताओं की सेनापति बनी थीं। इस वजह से पुराणों में Skandamata को कुमार और शक्ति नाम से महिमा का वर्णन है। मां Skandamata को अपने पुत्र के नाम से संबोधित करना बहुत अच्छा लगता है।

पूजन विधि

स्‍नान करने के बाद स्‍वच्‍छ वस्‍त्र पहने। Skandamata की तस्‍वीर या प्रतिमा को गंगाजल से शुद्ध करें। पुष्प चढ़ाएं। मिष्ठान और फल चढ़ाएं। एक कलश में पानी भरकर उसमें कुछ सिक्‍के डालें। इसके बाद पूजा का संकल्‍प लें। Skandamata को रोली-कुमकुम लगाएं। आरती उतारें।

सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।

शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।।

स्कंदमाता का मंत्र-

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

स्कंदमाता का कवच

ऐं बीजालिंका देवी पदयुग्मघरापरा।

हृदयं पातु सा देवी कार्तिकेययुता॥

श्री हीं हुं देवी पर्वस्या पातु सर्वदा।

सर्वांग में सदा पातु स्कन्धमाता पुत्रप्रदा॥

वाणंवपणमृते हुं फट्‌ बीज समन्विता।

उत्तरस्या तथाग्नेव वारुणे नैॠतेअवतु॥

इन्द्राणां भैरवी चैवासितांगी च संहारिणी।

सर्वदा पातु माँ देवी चान्यान्यासु हि दिक्षु वै॥

आरती

जय तेरी हो स्कंद माता, पांचवा नाम तुम्हारा आता।

सब के मन की जानन हारी, जग जननी सब की महतारी।

तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं, हरदम तुम्हे ध्याता रहूं मैं।

कई नामो से तुझे पुकारा, मुझे एक है तेरा सहारा।

कहीं पहाड़ों पर है डेरा, कई शहरों में तेरा बसेरा।

हर मंदिर में तेरे नजारे गुण गाये, तेरे भगत प्यारे भगति।

अपनी मुझे दिला दो शक्ति, मेरी बिगड़ी बना दो।

इन्दर आदी देवता मिल सारे, करे पुकार तुम्हारे द्वारे।

दुष्ट दत्य जब चढ़ कर आये, तुम ही खंडा हाथ उठाये

दासो को सदा बचाने आई, चमन की आस पुजाने आई।

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