अयोध्या विवाद में सुप्रीम कोर्ट में पहली पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई है। पक्षकार एम सिद्दीकी ने 217 पन्नों की पुनर्विचार याचिका दाखिल की। एम सिद्दीकी की तरफ से मांग की गई है कि संविधान पीठ के आदेश पर त्वरित रोक लगाई जाए, जिसमें कोर्ट ने विवादित जमीन को राम मंदिर के पक्ष में दिया था।
याचिका में सुप्रीम कोर्ट से मांग की गयी है की केंद्र सरकार को आदेश दे कि मंदिर बनाने को लेकर ट्रस्ट का निर्माण न करे। याचिका में बताया गया है की सुप्रीम कोर्ट ने 1934, 1949 और 1992 में मुस्लिम समुदाय के साथ हुई ना-इंसाफी को गैरकानूनी करार दिया, लेकिन उसे नजरअंदाज भी कर दिया।
याचिका के अनुसार इस मामले में पूर्ण न्याय तभी होगा जब मस्जिद का पुनर्निर्माण होगा। याचिका में कहा गया है कि विवादित ढांचा हमेशा ही मस्जिद था और उस पर मुसलमानों का एकाधिकार रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने मान लिया कि 1528 से 1856 तक वहां नमाज न पढ़ने के साक्ष्य सही है, जो कि कोर्ट ने गलत किया।