मकर संक्रांति हर साल 14 जनवरी को मनाया जाता है लेकिन इस साल देशभर में 15 जनवरी को मनाया जायेगा। 15 जनवरी इसलिए क्योंकि देर रात 2.07 मिनट को सूर्य मकर राशि में आगमन करने वाला है। इसलिए शास्त्र नियम के अनुसार मध्यरात्रि में संक्रांति होने के वजह से पुण्य काल अगले दिन पर होता हैं। इस दिन सुबह उठकर सूर्य देवता को जल, तिल और लाल चन्दन अर्पणा करना अच्छा होता है।
मकर संक्रांति में पुण्यकाल स्नान, दान, मंत्र, जप तथा अन्य धार्मिक कार्यों के लिए विशेष महत्वपूर्ण है। सरल शब्दों में कहें तो इसे ही शुभ मुहूर्त कहा जाता है। इसमें भी महापुण्यकाल का समय बहुत सीमित है। महापुण्य काल की कुल अवधि तकरीबन दो घंटे तक रहेगी। जबकि पुण्य काल की अवधि पांच घंटों से भी अधिक की रहेगी।
मानाने का सही समय…
अवधि: 5 घंटे 14 मिनट
महापुण्य काल मुहूर्त: 07:15:14 से 09:15:14 तक
अवधि: 2 घंटे 0 मिनट
संक्रांति पल: 01:53:48
संक्रांति का धार्मिक और पौराणिक महत्व
धार्मिक नज़रिए देखें तो इस दिन सूर्य अपने पुत्र शनिदेव से नाराजगी छोड़कर उनके घर मिलने आते हैं। यही कारण है कि मकर संक्रांति के दिन को सुख और समृद्धि से भी जोड़ा जाता है। पौराणिक मान्यता है के अनुसार, महाभारत काल में भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिए मकर संक्रांति का ही चयन किया था। मकर संक्रांति के दिन ही गंगाजी भागीरथ के पीछे−पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली थीं।