जियो और जीने दो: अनाेखा संदेश लेकर साइकिल पर दुनिया नापने निकले डॉक्टर साहब

लगातार बिगड़ रहे पर्यावरण को बचाने के लिए कई लोग अपने-अपने तरीके से पहल कर रहे हैं, लेकिन एक डॉक्टर ने अपना पूरा जीवन ही पर्यावरण की सेहत सुधारने में लगा दिया है। हरियाणा के फतेहाबाद निवासी बीएएमएस डॉक्टर राज पंड्यन बीते तीन साल में 43 हजार किमी की साइकिल से यात्रा कर 35 देशों में पर्यावरण संरक्षण का संदेश फैला चुके हैं। उनका लक्ष्य 2030 तक 200 देशों में साइकिल चलाकर पहुंचने और पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने का है।

राज ने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से पढ़ाई की है। उन्होंने बताया कि उन्हें बचपन से ही पर्यावरण और पेड़-पौधों से काफी लगाव था। प्रकृति से इस कदर जुड़ाव का श्रेय उन्होंने अपने पिता को दिया, जो कि बैंक में क्लर्क थे। उन्होंने बताया कि बचपन में उन्होंने पिता को पेड़-पौधों की देखभाल के साथ-साथ खेतों में काम करते देखा था। पिता उन्हें भी पर्यारण संरक्षण के लिए प्रेरित करते थे। बस तभी से उनके मन में पर्यावरण के प्रति लगाव पैदा हुआ।

भूना कस्बे में 10 साल तक अस्पताल चलाने वाले डॉ. राज के जीवन में अचानक दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। वर्ष 2008 में पत्‍नी और उसके बाद माता-पिता की मृत्यु के बाद उन्हें निराशा ने आ घेरा। जीवन में कुछ सार्थक करने का निश्चय करते हुए 2016 में उन्होंने तय किया कि अपना जीवन पर्यावरण बचाने में लगा देंगे। पिताजी की प्रेरणा ने इसमें बड़ी भूमिका निभाई। उन्होंने तय किया कि वाहनों से निकलते धुएं और कार्बन उत्सर्जन के खिलाफ लोगों को जागरूक करने के लिए साइकिल से दुनिया के विभिन्न देशों की यात्रा करेंगे।

राज इस समय यूरोप में हैैं और लोगों को पर्यावरण संरक्षण का महत्व समझा रहे हैैं। उन्होंने भारत के अलावा सिंगापुर, भूटान, कंबोडिया, श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल, म्यांमार, लाओस, वियतनाम, थाईलैंड, मलेशिया, इंडोनेशिया, ईरान, दुबई, टर्की जैसे देशों की यात्राएं की हैं। उन्होंने बताया कि जिन देशों में साइकिल से जाना संभव नहीं था, वहां जाने के लिए उन्हें फ्लाइट का सहारा लेना पड़ा, लेकिन वहां पहुंच कर साइकिल से ही सड़कों पर निकले और जागरूकता फैलाई।

राज ने अपने इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए गांव की पैतृक जमीन को भी बेच डाला। उनका अपना एक यू-ट्यूब चैनल भी है। इसके करीब 60 हजार सब्सक्राइबर हैं। पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाने की इस मुहिम को राज बड़े ही दिलचस्प तरीके से चला रहे हैं। लोगों को इसकी उपयोगिता बताने के लिए वह स्कूल और कॉलेजों में जाकर पौधारोपण शिविर लगाते हैं। इसमें पेड़-पौधों के महत्व, उनकी देखभाल और उनसे जुड़ी कई अहम जानकारियां देते हैं। इसमें कई गैरसरकारी संस्थाएं भी उनकी मदद कर रही हैं। राज अब तक 500 से अधिक सेमिनार और एक हजार से अधिक पौधारोपण शिविर लगा चुके हैं।

राज का कहना है कि हमारी छोटी-छोटी कोशिशों से ही काफी बदलाव आ सकता है। इसके लिए आपको ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं है। बस थोड़ा सा पुरानी जीवनशैली को आत्मसात करना होगा। हम फल खाने के बाद इसके बीज को कूड़े में डाल देते हैं, जबकि पहले हम इसे कटोरी में रखकर अंकुरित कर इसे जमीन में रोप देते थे। फल खाने के बाद बीज फेंके नहीं, बल्कि जमीन में रोप दें। हजार में से 10 बीज भी अंकुरित हो गए तो वे बड़े होकर पेड़ का रूप ले लेंगे।

” जियो और जीने दो। आज इस तरह जियो कि कल भी जी सको। अगर पर्यावरण नहीं होगा तो कल कुछ नहीं होगा। हमारा अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा। जिस तरीके से इंसान प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर रहा है, उसका कहर प्राकृतिक आपदाओं के रूप में स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता है। मेरा लक्ष्य लोगों को प्रदूषण के खतरे से सावधान करना और पर्यावरण को बचाना है।

                                                                                                                                – राज पंड्यन।

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