क्या प्राइवेट पार्ट से आ रहा है सफ़ेद बदबूदार पानी?

कई बार महिलाओं को उनके प्रजनन अंग से जुड़ी समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है और उन्हीं में से एक है योनि मार्ग यानी वजाइना से सफेद पानी निकलना जिसे मेडिकल टर्म में श्वेत प्रदर या ल्यूकोरिया कहते हैं। यह गाढ़े, सफेद या पीले योनि स्त्राव के रूप में जाना जाता है जो पीरियड्स साइकिल या गर्भावस्था के दौरान हो सकता है। आमतौर पर यह कुछ दिनों से कुछ सप्ताह तक रहता है। ज्यादातर मामलों में Leucorrhoea से परेशान होने की जरूरत नहीं होती क्योंकि यह महिलाओं में देखी जाने वाली एक सामान्य स्थिति है।

लेकिन अगर आपके योनि मार्ग से चिपचिपा, पीला, हरा या भूरे रंग का पानी निकलने लगे, उसमें से बदबू आ रही हो और योनि में खुजली और जलन महसूस हो तो यह किसी भी महिला के लिए चिंता की बात हो सकती है। तो आखिर Leucorrhoea किन वजहों से होता है, इसके लक्षण क्या हैं और इससे बचाव कैसे हो सकता है-

  1. ल्यूकोरिया के लक्षण
    वजाइना से होने वाला डिस्चार्ज सामान्य रूप से सफेद रंग का होता है जिसमें से हल्की गंध आती है और उसका गाढ़ापन मेन्स्ट्रुअल साइकल के हिसाब से बदल सकता है। साथ ही सामान्य दिनों में होने वाला डिस्चार्ज बेहद पतला, ट्रांसपैरेंट, पानी जैसा और दर्द रहित होता है। लेकिन अगर किसी महिला को Leucorrhoea की समस्या हो जाए तो उसे निम्नलिखित लक्षण दिखते हैं-
    डिस्चार्ज का रंग पीला, हरा या भूरा और बेहद गाढ़ा

योनि से होने वाले डिस्चार्ज से आने वाली गंदी बदबू

डिस्चार्ज के वक्त योनि में दर्द, जलन और खुजली महसूस होना

वजाइना में हर वक्त नमी या गीलापन महसूस होना

जांघ के क्षेत्र में लालिमा या रेडनेस होना

कब्ज, सिरदर्द, बहुत ज्यादा थकान

सेक्शुअल इंटरकोर्स के बाद ब्लीडिंग होना

  1. ल्यूकोरिया का कारण
    ल्यूकोरिया कई कारणों से हो सकता है-
    इंफेक्शन-
    एनीमिया या डायबिटीज से ग्रस्त महिलाओं में भी योनि से डिस्चार्ज होने लगता है और Leucorrhoea की समस्या हो जाती है। इसके अलावा यूरिन इंफेक्शन यूटीआई की वजह से भी योनि से स्त्राव हो सकता है और पेल्विक क्षेत्र में सूजन से जुड़ी बीमारियां भी Leucorrhoea का कारण बन सकती हैं।

हार्मोनल बदलाव-
खासकर गर्भावस्था के दौरान जब शरीर में हार्मोन्स का बदलाव होता है तब योनि से स्त्राव की समस्या हो सकती है। इसके अलावा कुछ लड़कियों को पीरियड्स से पहले भी वजाइनल डिस्चार्ज होने लगता है।

पोषण की कमी-
अगर महिलाओं के शरीर में पर्याप्त मात्रा में पोषण न पहुंचें तो यह भी चिंता का एक प्रमुख कारण है क्योंकि यह देखा गया है कि जिन महिलाओं में खून की कमी होती है वे भी कई बार ल्यूकोरिया से पीड़ित होती हैं।

जननांगों में सफाई की कमी-
अंडरवियर को नियमित रूप से न बदलना, पीरियड्स के दौरान सफाई का ध्यान न रखना, बहुत ज्यादा पसीना आना- इन सब वजहों से भी Leucorrhoea की समस्या हो सकती है। लिहाजा अपने पूरे शरीर के साथ ही जननांगों की भी सफाई का ध्यान रखें।

बैक्टीरियल और फंगल इंफेक्शन जैसे- बैक्टीरियल वजाइनोसिस, थ्रश, ट्राइकोमोनिऐसिस, क्लैमीडिया, गोनोरिया, जेनिटल हर्प्स और पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज की वजह से भी Leucorrhoeaकी समस्या हो सकती है। इसके अलावा सर्वाइकल कैंसर, वजाइनल कैंसर, पीरियड्स के दौरान देर तक टैम्पोन्स का इस्तेमाल करना, वजाइनल अट्रोफी आदि की वजह से भी Leucorrhoea हो सकता है।

ल्यूकोरिया के जोखिम कारक
Leucorrhoea का रिस्क कई बातों पर निर्भर करता है जैसे- महिला की उम्र, उसका फैमिली बैकग्राउंड, उसकी अब तक कितनी प्रेगनेंसी हो चुकी है, बच्चे को जन्म देने का तरीका क्या था- नॉर्मल या सिजेरियन, गर्भनिरोधक के तौर पर किस चीज का इस्तेमाल करती है आदि। योनि से असामान्य स्त्राव होने का खतरा तब बढ़ जाता है जब,एक से ज्यादा सेक्शुअल पार्टनर हों।

पहले कभी योनि में इंफेक्शन हुआ हो जिसका इलाज न करवाया गया हो

असुरक्षित तरीके से सेक्स करना

25 साल से कम उम्र में महिला का सेक्शुअली ऐक्टिव होना

एचआईवी इंफेक्शन

सेक्शुअली ट्रांसमिटेड बीमारियां पहले कभी हुई हों

  1. ल्यूकोरिया का इलाज
    ऐंटीमाइक्रोबियल दवाइयों के कोर्स से Leucorrhoea का इलाज हो सकता है। अगर किसी तरह का असामान्य योनि स्त्राव हो रहा हो तो उसका इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि आखिर इंफेक्शन किस तरह का है। कैन्डिडा इंफेक्शन के मामले में एंटीफंगल दवाइयां दी जाती हैं। बैक्टीरियल वजाइनोसिस की समस्या में किसी तरह के इलाज की जरूरत नहीं होती। हर्प्स के लिए अब तक कोई इलाज मौजूद नहीं है। हालांकि इंफेक्शन को फैलने से रोकने के लिए एंटीवायरल दवाइयां दी जाती हैं।

अगर माइल्ड Leucorrhoea की समस्या हो तो आप अपनी डाइट में मेथी, सूखा धनिया, पका हुआ केला आदि चीजों को शामिल कर सकती हैं। ये Leucorrhoea को दूर करने का हर्बल और घरेलू तरीका है। इसके अलावा अपनी लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव करके भी आप Leucorrhoea की समस्या को दूर कर सकती हैं-

सिंथेटिक कपड़े से बने इनरवेयर का इस्तेमाल न करें, सिर्फ कॉटन कपड़ों से बनी पैंटी ही पहनें। इसके अलावा इनरवेअर कपड़ों को धोने के लिए केमिकल फ्री डिटर्जेंट का इस्तेमाल करें।

हर बार टॉइलेट जाने के बाद योनि क्षेत्र की सफाई जरूर करें लेकिन इसके लिए बहुत ज्यादा साबुन या दूसरे केमिकल्स यूज न करें वरना योनि का पीएच बैलेंस बिगड़ जाएगा और बैक्टीरिया की ग्रोथ अधिक होने लगेगी।

स्वस्थ और संतुलित भोजन का सेवन करें और दिनभर में कम से कम 10 से 12 गिलास पानी पिएं ताकि टॉक्सिन्स को शरीर से बाहर निकालने में मदद मिले।

वॉकिंग, जॉगिंग, योग, मेडिटेशन जैसे हल्के व्यायाम ही करें क्योंकि हाई इम्पैक्ट एक्सरसाइज करने से भी Leucorrhoea बढ़ने का खतरा रहता है।

जहां तक संभव हो एक ही सेक्शुअल पार्टनर रखें और सेक्स के दौरान लेटेक्स कॉन्डम का इस्तेमाल करें।

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