वामपंथी दलो का बहुत पुराना इतिहास रहा है . वामपंथी में 4 प्रमुख दल है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, सीपीआईएम ,और भाकपा माले।
झारखंड में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं ऐसे में जितनी भी पार्टियां है चाहे वह सत्ता पक्ष की हो या विपक्ष की सभी जोर -सोर से चुनावी कैंपेन में जुट गए हैं। अगर हम वामपंथी दलो की बात करे तो इनका ना तो कोई कार्यक्रम हो रहा है ना ही प्रचार-प्रसार देखने को मिल रहा है। हालांकि वामपंथी के 3 महत्पूर्ण दल दावा कर रहे हैं कि 10 से 15 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। जिसमे मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी महागठबंधन के तहत 5 सीटो पर चुनाव लड़ने की बात कर रही है।
ऐसे में देखने वाली बात होगी इन पार्टियों का दावा कितना सफल कारगर होता है। वैसे वामपंथी दल हमेशा से हिंदुत्व आधारित सांप्रदायिकता के ख़िलाफ़ धर्मनिरपेक्ष ताकतों को एकत्रित करने का काम भी करते रहे हैं। वे शांति की वकालत करते हुए परमाणु सशक्तिकरण का विरोध करते रहे हैं। इन सबके चलते वामपंथी दल हमेशा से प्रगतिशील और धर्मनिरपेक्ष ताकतों को आकर्षित करते रहे हैं। लेकिन अब सब कुछ वैसा नहीं है। वामपंथी दल मौजूदा सत्ता के ढांचे को जमीनी स्तर पर लोगों को एकजुट करके चुनौती देने की स्थिति में नहीं है। अतीत में ऐसी कोशिशें कामयाब हुई थीं और राज्यों में चुनावी सफलता भी मिली थी। लेकिन झारखंड विधानसभा चुनाव में ऐसे कुछ स्थिति देखने को नहीं मिल रही वामपंथ के जितने भी दल हैं वह एकजुट नजर नहीं आ रहे हैं। और सब अपनी अपनी राग अलाप रहे हैं। ऐसे में विधानसभा के चुनाव में इन पार्टियों का क्या स्थित होता है वह देखने वाली बात होगी।