Chaitra Navratri का पर्व शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से आरंभ हो रहा है। यह पावन पर्व रामनवमी तक होता है। इन 9 दिनों में मां के विभिन्न 9 रूपों की पूजा अलग अलग तिथि में की जाती है। Navratri के व्रतों का विशेष महत्व होता है। Navratri की पूजा पूरे विधि विधान से की जाती है। क्योंकि मान्यता है कि विधि विधान से माता की पूजा न किए जाने से इसके पूरे लाभ प्राप्त नहीं होते हैं।
चैत्र Navratri की पूजा का आरंभ घट स्थापना से होता है। माना जाता है जिस घर में Navratri के दौरान घट की स्थापना शुभ मुहूर्त में की जाती है उस घर में सुख समृद्धि आती है और घर के सभी सदस्यों पर मां की कृपा बनी रहती है। घट स्थापना के बाद Navratri के दिनों में अखंड ज्योति प्रज्ज्वलित की जाती है। इसके बाद व्रत का संकल्प लिया जाता है। जो लोग Navratri में व्रत रखते हैं उन्हें पूरे संयम और अनुशासन से व्रत को पूरा करना चाहिए।
Navratri में घट की स्थापना शुभ मुहूर्त में ही करनी चाहिए तभी इसका पूरा लाभ प्राप्त होता है। पंचांग के अनुसार घटस्थाना 25 मार्च को प्रात: 6 बजकर 19 मिनट से 7 बजकर 17 मिनट के बीच शुभ मुहूर्त में करनी चाहिए।
घट स्थापना के समय घर के सभी सदस्यों को उपस्थित रहना चाहिए। ऐसा करने से हर प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है। घट स्थापना से पहले पूरे स्थान को पवित्र करना चाहिए। यह घट दूषित नहीं होना चाहिए इसका विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए।