जदयू के झारखंड प्रदेश अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने झामुमो और उसके चुनाव चिह्न को लेकर विवाद को जन्म दे दिया है। मुर्मू का आरोप है कि चुनाव चिह्न तीर धनुष आदिवासियों की आत्मीयता, धार्मिक भावनाओं और उनकी आस्था से जुड़ा हुआ है। उनकी इसी भावनाओं का फायदा झारखंड मुक्ति मोर्चा हर चुनाव में उठा रही है। इसलिए वे जल्द ही चुनाव आयोग में याचिका दायर कर झामुमो के चुनाव चिह्न को बदलने की मांग करेंगे।
धनबाद परिसदन में बुधवार को पार्टी की बैठक के बाद पत्रकारों को संबोधित करते हुए मुर्मू ने बताया कि झामुमो ने चुनाव आयोग को आवेदन देकर जदयू के चुनाव चिन्ह तीर छाप को झारखंड विधान सभा चुनाव के दौरान बदलने की अपील की थी। इस अपील पर संभावना है कि आने वाले चुनाव में जदयू को तीर छाप चुनाव चिन्ह नहीं मिले। इसके एवज में पार्टी ने चुनाव आयोग से ट्रैक्टर चलाता हुआ किसान चुनाव चिन्ह देने की मांग की है। मुर्मू ने कहा कि झामुमो की बदलाव यात्रा आदिवासियों को धोखा देने के लिए है। चार बार झामुमो की सरकार रही, लेकिन इस पिता-पुत्र की सरकार ने सीएनटी-एसपीटी एक्ट का खुद उल्लंघन किया, झारखंड डोमिसाइल की घोषणा नहीं कर सकी, सरना कोड लागू करने के नाम पर मौन हो गई। अब हेमंत सोरेन क्या बदलाव कर सकते हैं।
मुर्मू ने बताया कि जदयू झारखंड में एक विकल्प के तौर पर खड़ी होगी। सुशासन, न्याय, जन सुविधाएं और सरना कोड लागू किया जाएगा। साथ ही, बिहार की तर्ज पर झारखंड में भी पूर्ण शराब बंदी लागू किया जाएगा। आगामी सात सितंबर को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का रांची आगमन होगा और आने वाले चुनाव की तैयारियों एवं रणनीतियों पर चर्चा की जाएगी। बैठक में जिलाध्यक्ष पिंटू सिंह, राजू कुमार सिंह, मुन्ना सिन्हा, धनलाल दुबे, सुशील सिंह, पुष्पा पांडेय समेत काफी नेता और कार्यकर्ता उपस्थित थे।