पिछले साल अगस्त में केंद्र की मोदी सरकार ने ऐतिहासिक कदम उठाते हुए जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया था जिसके बाद से ही लगातार मोदी सरकार घाटी की स्थीति को सामान्य करने में लगी है और काफी हद तक अब आम-जनजीवन सामान्य हो भी गए हैं। इसी के तहत दूसरी बार 25 विदेशी राजदूतों के प्रतिनिधिमंडल जम्मू-कश्मीर के दौरे पर हैं। इस दौरान व्यापारियों ने राजनयिकों के सामने केंद्र सरकार से घाटी में विकास की रफ्तार में तेजी लाने की मांग की। जिससे खासकर कश्मीर का विकास तेजी से हो सके और साथ ही मंद पड़े पर्यटन के कारोबार को भी बढ़ावा मिल सके।
आपको बता दें इस दौरे का मुख्य उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को जम्मू कश्मीर की ज़मीनी हकीकत से रूबरू कराना है। इस दौरे में यूरोपीय देशों के राजदूतों के अलावा यूरोपीय संघ के राजदूत भी शामिल हैं। आपको बता दें जम्मू कश्मीर के दौरे में यूरोपीय संघ के राजदूतों का हिस्सा होना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि भारत ने यूरोपीय संघ की संसद में नागरिकता संशोधन विधेयक के साथ ही कश्मीर की स्थिति को लेकर भी कड़े प्रस्ताव लाए थे जिस पर आने वाले 31 मार्च तक यूरोपीय संघ में वोटिंग होनी है। जिसके मद्देनजर भी ये दौरा महत्वपूर्ण माना जा रहा है। जिन 25 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को जम्मू और कश्मीर का दौरा करना है उसमें जर्मनी, कतर और अफगानिस्तान के राजदूत भी शामिल हैं।