घाटी में मोबाइल सेवा अब तक ठप, मीडिया ने उठाई आवाज…

जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के बाद वहां इंटरनेट सेवाएं बंद चल रही हैं, जबकि स्थिति में काफी सुधार देखा गया है। अधिकारियों ने 5 अगस्त को संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को हटाने तथा पूर्ववर्ती राज्य को दो केंद्र शासित क्षेत्रों में विभाजित करने के केंद्र के फैसले की घोषणा के कुछ घंटे पहले ही संचार की सभी लाइनों- लैंडलाइन टेलीफोन सेवा, मोबाइल फोन सेवा आदि की इंटरनेट सेवा को बंद कर दिया था।

वहीं अधिकारियों ने ये भी कहा कि कुछ सरकारी दफ्तरों और कारोबारी प्रतिष्ठानों को छोड़कर समूची घाटी में इंटरनेट सेवाएं लगातार बंद हैं। उन्होंने बताया कि इस सेवा को बहाल करने के बारे में अधिकारियों की ओर से अब तक कोई आदेश नहीं आया है जबकि इसके लिए विशेषकर मीडिया की मांगें बढ़ रही हैं। मीडिया कर्मी कम से कम बीएसएनएल ब्रॉडबैंड सेवाओं को बहाल करने की मांग कर रहे हैं ताकि वे अपनी पेशेवर जिम्मेदारी आसानी से पूरी कर सकें।

शीर्ष स्तर और दूसरी श्रेणी के अधिकतर अलगाववादी नेताओं को एहतियातन हिरासत में रखा गया है जबकि दो पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती समेत मुख्यधारा के नेताओं को या तो हिरासत में रखा गया है या नजरबंद किया गया है। पहले लैंडलाइन टेलीफोन सेवाएं धीरे-धीरे बहाल की गईं, बाद में पोस्टपेड मोबाइल सेवाएं बहाल हुईं। हालांकि प्रीपेड मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं अब भी बहाल नहीं की गई हैं।

अधिकारियों ने कहा कि ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि घाटी में कानून व्यवस्था बिगाड़ने के लिए निहित स्वार्थवश इंटरनेट सेवाओं का गलत इस्तेमाल हो सकता है जिसकी वजह से वहां पर सख्ती बरती जा रही है।

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