हिन्दू पंचांग के अनुसार आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णमा(Sharad Purnima) कहते हैं, शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा या रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, इस पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है है, ऐसी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा का व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, पूरे साल में केवल इसी दिन चंद्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है, कहा जाता है इस दिन है चंद्रमा धरती पर अमृत की वर्षा करता है।
आसमान से बरसता है अमृत –
शरद पूर्णिमा की रात में आकाश के नीचे खीर रखने की भी परंपरा है, इस दिन लोग खीर बनाते हैं और फिर 12 बजे के बाद उसे प्रसाद के तौर पर गहण करते हैं, मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा आकाश से अमृत बरसाता इसलिए खीर भी अमृत वाली हो जाती है, इस अमृत युक्त खीर का सेवन करने से कई रोग दूर होते हैं।
इस साल बन रहा है कौन सा दुर्लभ संयोग –
इस बार शुभ योग में चंद्रमा और मंगल के दृष्टि संबंध होने की वजह से 30 साल बाद महालक्ष्मी योग बन रहा है। इस रात में लक्ष्मी पूजन करके रात्रि जागरण करना धन समृद्धि दायक माना गया है। इस दिन किए जानेवाले व्रत को कोजागरा व्रत भी कहते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा की रात्रि पर मां लक्ष्मी पृथ्वी का भ्रमण करती हैं। इस वर्ष महायोग बनने के कारण शरद पूर्णिमा पर मां महालक्ष्मी की पूजा करने पर अधिक मिलेगा।
शरद पूर्णिमा पर कैसे करें पूजा –
शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा, माता लक्ष्मी और भगवा विष्णु की पूजा का विधान है,। पूर्णिमा के दिन सुबह सवेरे इष्ट देव का पूजन करना चाहिए, महालक्ष्मी जी का पूजन करके घी के दीपक जलाकर उसकी पूजा करनी चाहिए। ब्राह्माणों को खीर का भोजन कराना चाहिए।
मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए इस व्रत को विशेष रुप से किया जाता है, इस दिन जागरण करने वालों की धन-संपत्ति में वृद्धि होती है