रंगमंच पर उतरेगा रामचंद्र से लेकर नवाब वाजिद Ali Shah तक के अवध का History

भारतीय History के विभिन्न कालखंडों में हिन्दू-मुस्लिम संबंधों के विभिन्न आयाम रहे हैं। तमाम नफरतों और मतभेदों के चलते इन दोनों कौमों के बीच टकराव होता रहा है। लेकिन लखनऊ सहित समूचे अवध ने हमेशा आपसी सौहार्द की एक अलग ही मिसाल पेश की है। धर्म की बंदिशों और मतभेदों को भुलाकर एक साथ प्रेम पूर्वक रहने की इसी अदा अवध की गंगा-जमुनी तहजीब के नाम से पूरी दुनिया में जानी जाती है। इसी गंगा-जमुनी तहजीब को केन्द्र में रखते हुए भगवान रामचंद्र से लेकर अवध के आखिरी नवाब वाजिद Ali Shah तक के अवध का History एक बार फिर से जीवंत होने जा रहा है।

गोमतीनगर स्थित संगीत नाटक अकादमी 24 फरवरी को ‘अवध के राम’ नामक नाटक का मंचन होने जा रहा है। संत गाड्गे प्रेक्षागृह में होने वाले इस नाटक में अवध का 7000 साल का History मंच पर उतारा जाएगा। नाटक का मंचन इन्स्ट्टीयूट ऑफ ह्यूमन रिर्सोसेज, रिसर्च एण्ड डेवलेपमेन्ट सोसाइटी और उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी के सहयोग से हो रहा है। नाटक ’अवध के राम’ का लेखन SN लाल ने किया है। जबकि इसका निर्देशन नवाब मसूद अब्दुल्लाह और SN लाल ने मिलकर किया है। नाटक के निर्देशक नवाब मसूद अब्दुल्ला ने बताया कि इस नाटक में अवध का 7000 साल का इतिहास दिखाया गया है। जिसमें भगवान रामचन्द्र से लेकर नवाब वाजिद Ali Shah तक शामिल हैं। नाटक में भगवान राम के साथ-साथ अवध का History भी दर्शाया गया है।

नाटक के माध्यम से रामायण के कई प्रसंगों को रंगमंच पर जीवंत किया जाएगा। जिसमें भगवान रामचंद्र द्वारा भाई लक्ष्मण को उपहार में लक्ष्मणपुर शहर देते हुए, महर्षि बाल्मीकि ने किन परिस्थितियों में रामायण की रचना की, तुसलीदासजी ने कैसे रामजी की कहानी को दोहो में समेटा और लोक की उत्पत्ति कैसे हुई? जैसे प्रसंगों को मंच पर उतारा जाएगा।

नवाब मसूद अब्दुल्ला ने बताया कि नाटक के ऐतिहासिक दृश्यों को आपस में कड़ी के रुप में जोड़ने के लिए एक सूत्रधार भी मंच पर उपस्थित रहेगा, जो बीच-बीच में History को बताता रहेगा। नाटक के लेखक एवं निर्देशक एसएन लाल ने बताया कि अकबर बादशाह ने रामायण का फारसी में अनुवाद कराकर उसमें 165 रंगीन चित्र डलवाये थे। उसके बाद भी मुगलकाल में ही कई बार रामायण का अनुवाद हुआ। नाटक में कुरआन शरीफ की आयतों के हवाले से बहुत कुछ बताने की कोशिश की गयी है। इसके आलावा अवध के नवाबों ने अवध की गंगा-यमुनी तहजीब को बनाने के लिए सभी धर्मों और वर्गों के धार्मिक कार्यक्रमों में बराबर से शरीक होते थे।

नाटक में नजीर अकबराबादी को भी दिवाली पर नज्म पढ़ते दिखाया गया। एक और दृश्य में दिखाया गया है कि जब नवाब वाजिद Ali Shah को अंग्रेज सिपाही गिरफ्तार कर ले जा रहे होते हैं, तब नवाब की सुरक्षा के लिए भगवान रामचन्द्र की प्रार्थना की जाती है। संस्था के निर्देशक मजाहर रजा ने बताया कि नाटक मंचन के बाद 8 लोगों को निशान-ए-उर्दू सम्मान दिया जायेगा। उर्दू के माने है ‘अलिफ’ से अल्लाह, ‘रे’ से राम, ‘दाल’ से दाऊद, ‘वाउ’ से वाहेगुरु, है.., इस लिए ये समाजी सम्मान है। मजाहर रजा ने बताया कि यह सम्मान उन विभूतियों को प्रदान किया जाएगा जो प्रसिद्ध तो अपने किन्ही और कामों की वजह से हैं, लेकिन समाज के लिए भी बराबर अपना योगदान देते रहते हैं। सम्मान पाने वालों में डा. सूर्यकान्त, शरद प्रधान, शशांक श्रीवास्तव, हसन रिजवी, डा. अनवर रिजवी, वामिक खान, डा. तलत रिजवी, आलोक राजा, सुनिता वर्मा व डा. नैय्यर जलालपुरी शामिल हैं।

न्यायमूर्ति शबीउल हसनैन व उर्दू-फारसी व अरबी विश्वविद्यायल कुलपति माहरुख मिर्जा विभूतियों को सम्मानित करेंगे। इस अवसर सै. रफत, स्वामी सारंग, अनीस अन्सारी, सिराज मेहंदी, हसन काजमी, मेहराज हैदर व नगर की कई लोग उपस्थित रहेंगे। नाटक का मंचन अतहर नबी की देखरेख में होगा। जिसकी परिकल्पना नवाब जाफर मीर अब्दुल्लाह की है। इस नाटक में 35 कलाकार अभिनय कर रहे हैं।

https://www.youtube.com/watch?v=jjiLbfpf2aI&t=108s

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