पर्यावरण के लिए काम करने वाली गैरसरकारी संस्था ग्रीनपीस इंटरनेशनल ने दिल्ली में प्रदूषण घटाने के AAP के दावे को गलत करार दिया है। ग्रीनपीस के मुताबिक, अगर दिल्ली और पडोसी राज्यों में वायु गुणवत्ता और सैटेलाइट डेटा के साथ पेट्रोल-डीजल जैसे ईंधनों की बढ़ती खपत के आंकड़ों को मिलाकर देखें तो सरकार का पिछले कुछ सालों में 25% प्रदूषण घटने का दावा सही नहीं लगता।
ग्रीनपीस इंडिया ने सैटेलाइट डेटा के हवाले से कहा है कि 2013 से 2018 तक पीएम 2.5 के स्तर में कोई कमी दर्ज नहीं की गयी है। पिछले तीन सालों की तुलना में सिर्फ 2018 के आखिरी महीनों में प्रदूषण के स्तर में कुछ कमी आई थी।
दिल्ली में सरकार के दावे के उलट राज्य में पीएम 10 के स्तर में भी बढ़ोतरी हुई है। एनजीओ के मुताबिक, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी के एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन के आंकड़ों के मुताबिक, 2018 में पीएम 10 का स्तर 2013, 2014 और 2015 से ज्यादा रहा है। इसी साल मार्च में ग्रीनपीस इंडिया और एयर विजुअल रिपोर्ट ने दिल्ली को दुनिया की सबसे ज्यादा प्रदूषित राजधानी करार दिया था।
ग्रीनपीस की रिपोर्ट पर आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज के अनुसार यह विश्लेषण चिंता की बात है ही नहीं । भारद्वाज ने कहा कि केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट दायर कर चुकी है कि दिल्ली में प्रदूषण घटा है और अक्टूबर और नवंबर में प्रदूषण पराली जलाने की वजह से हो रहा है।