सड़कों पर आवारा पशुओं की तरह घूम रही गौ माता अब दूध दही ही नहीं महीने के 900 रुपए भी दिलवाएंगी। मतलब यह है कि जो लोग अब तक बेसहारा पशुओं को उनका दूध निकालने के बाद छोड़ दिया करते थे, वह लोग अगर गाय की सेवा करेंगे तो उनको सरकार 900 रुपए महीना देगी। सरकार की इस नई पहल से जहां गोवंश को सड़कों पर भटकना नहीं पड़ेगा, वहीं ग्रामीण अब अपनी गायों की अच्छी तरह से देखभाल भी कर सकेंगे। इन गोवंश को पशुधन विभाग ग्रामीणों को उपलब्ध कराएगा। इस नई व्यवस्था की प्रक्रिया आज जिले में शुरू कर दी गई है और पहली बार में 22 सौ गोवंश को संरक्षण दिए जाने का लक्ष्य सरकार ने लखीमपुर जिले को दिया है।
बेसहारा गोवंश के भरण पोषण और संरक्षण के लिए प्रतिमाह ये रकम सीधे ग्रामीणों के खाते में भेजा जाएगी। डीएम शैलेंद्र कुमार ने बताया कि पूरे जिले में करीब 2200 गोवंश को इच्छुक लोगों के संरक्षण में दिया जाना है। गोवंश को किसी भी दशा में किसान न बेचेंगे और न ही छोड़ेंगे। डीएम ने बताया कि जानवरों की समस्या को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है।
50,000 से ज्यादा बेसहारा गोवंश हैं
जिले में एक मोटे आंकड़े के मुताबिक लखीमपुर जिले में 50,000 से ज्यादा गोवंश बेसहारा हैं और आवारा पशुओं की तरह सड़कों पर घूमते हैं। इनकी सबसे ज्यादा तादाद जिले की धौरहरा, पलिया और निघासन में है। जहां यह गोवंश झुंड के झुंड खुलेआम सड़कों पर या खेतों में घूमते फिरते दिखाई देते हैं। कई बार यह सड़क हादसों का सबब बन जाते हैं, तो कई बार यह इंसानों को ही नुकसान पहुंचा देते हैं। जिन्हें में 5 से ज्यादा मौतें भी इन बेसहारा गोवंश के हमले से हो चुकी हैं। इन्हीं हालातों के मद्देनजर सरकार ने यह कदम उठाया है।
ये करना होगा गो संरक्षण के आवेदक को
किसानों की चयन प्रक्रिया के बारे में मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. टीके तिवारी ने बताया कि पशुपालकों को कान में टैग लगे पशु ही उपलब्ध कराए जाएंगे। डीएम द्वारा जिन किसानों को यह धनराशि मुहैया कराई जाएगी। उन किसानों को सौ रुपये के स्टांप पेपर में प्रमाण देना होगा कि वह गोवंश के दूध न देने पर उनको आवारा नहीं छोड़ेंगे।