अब होगा एक देश एक नमक-तय होंगे मानक - Archived

This content has been archived. It may no longer be relevant

नमक हमारे भोजन का ऐसा अहम हिस्सा है जिसके बगैर खाने का कोई स्वाद ही नहीं होता। दरअसल, इसी नमक के लिए देश में फिलहाल ब तक कोई मानक निर्धारित नहीं हैं। यही वजह है कि बाजार में तरह-तरह के नमक की बिक्री हो रही है। इसे लेकर जहां लोग भ्रमित होते हैं वहीं, अपने नमक को बेहतरीन बताने के चक्कर में कंपनियां नए-नए प्रयोग करती रहती हैं। यही वजह है कि आए दिन बाजार में विभिन्न प्रकार के नमक आते रहते हैं। बीते दिनों नमक को लेकर कई तरह की बातें सामने आई। जिसके बाद पहली बार एफएसएसएआइ ने इसके मानक तय करने का निर्णय लिया। इस कार्य की जिम्मेदारी वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर) की दो प्रतिष्ठित प्रयोगशालाएं राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (एनबीआरआइ) व भावनगर के सेंट्रल सॉल्ट एंड मरीन केमिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट के डॉ. अरविंद कुमार को सौंपी गई।

कंपनियां अब नमक को लेकर अलग-अलग लुभावने दावे नहीं कर सकेंगी। अमीर हो या गरीब सबके लिए नमक की गुणवत्ता एक समान होगी। कारण यह है कि बहुत जल्द फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी (एफएसएसएआइ) नमक के मानक निर्धारित करने की तैयारी में है। यानी अब देश भर में एक गुणवत्ता का नमक मिलेगा। 

एनबीआरआइ के फार्माकोग्नोसी डिवीजन के प्रमुख डॉ.शरद श्रीवास्तव बताते हैं कि नमक सोडियम क्लोराइड से तैयार होता है। इसका प्रमुख स्रोत समुद्र है। एक लीटर समुद्री जल में 35 ग्राम सॉलिड होता है जिसमें 3.5 फीसद लवणता या सेलिनिटी होती है। ढेले वाला पारंपरिक नमक सबसे शुद्ध होता है। हालांकि देश में ग्वाइटर (घेंघे) की समस्या पर अंकुश लगाने के लिए इसमें आयोडीन मिलाया गया और तभी से आयोडाइज्ड नमक का चलन चलता आ रहा है। विभिन्न ब्रांड में आयोडीन की मात्रा अलग-अलग होती है। वह कहते हैं कि यह भ्रम है कि ढेले वाला नमक शुद्ध नहीं होता। यह नमक सेहत के लिए पूरी तरह से मुफीद है। 

मानक तैयार करने के लिए सीएसआइआर द्वारा जो विजन डॉक्यूमेंट तैयार किया गया है उसमें सोडियम क्लोराइड के साथ-साथ कैल्शियम, मैग्नीशियम, सल्फेट, आयोडीन, आयरन, कॉपर, लेड आदि की मात्रा तय की गई है। माना जा रहा है कि जल्द ही एफएसएसएआइ नए मानक जारी करेगा।  

आयोडाइज्ड नमक के अलावा पिंक सॉल्ट, ब्लैक सॉल्ट, हैलाइट साल्ट, हवाइन रेड सॉल्ट, ब्लैक लावा सॉल्ट आदि का भी लोग प्रयोग करते हैं। वह बताते हैं कि काला नमक हाइड्रोजन सल्फाइड से प्रोसेस करके तैयार किया जाता है। ब्लैक साल्ट को सिंथेटिक सॉल्ट भी कहते हैं।  सेंट्रल सॉल्ट एंड मरीन केमिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट के डॉ. अरविंद कुमार बताते हैं कि समुद्र किनारे पाई जाने वाली एल्गी सेलीकोर्निया से तैयार नमक ‘सलोनी’ सेहत के लिए मुफीद है। इसमें सोडियम कम और पोटेशियम अधिक होता है।

Leave a Comment

Your email address will not be published.

बिहार के इन 2 हजार लोगों का धर्म क्या है? विश्व का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड कौन सा है? दंतेवाड़ा एक बार फिर नक्सली हमले से दहल उठा SATISH KAUSHIK PASSES AWAY: हंसाते हंसाते रुला गए सतीश, हृदयगति रुकने से हुआ निधन India beat new Zealand 3-0. भारत ने किया कीवियों का सूपड़ा साफ, बने नम्बर 1