विश्व के कई देशों समेत भारत में कोरोना वायरस से निपटने के लिए देशव्यापी लॉकडाउन लागू है। इस लॉकडाउन से जहां छोटे व्यापारियों को नुकसान उठाना पड़ रहा है तो वहीं देश के अन्नदाता यानी किसानों को भी भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। बीते मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये किसानों की समस्या को लेकर एक अहम बैठक हुई। इस बैठक में केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के अलावा मंत्रालय के कई बड़े अधिकारी शामिल हुए। बैठक में किसानों को राहत देने और उनकी समस्याओं के समाधान पर कई अहम फैसले लिए गए। जिसके तहत किसानों को राहत पहुंचाने वाले उपायों पर सख्ती से अमल किए जाने और कंट्रोल रूम बनाकर नियमित निगरानी के निर्देश दिए। वहीं किसानों की समस्या को लेकर खुद नरेंद्र सिंह तोमर ने गृह मंत्रालय और वित्त मंत्रालय से संपर्क कर इस बाबत बात की।
बैठक में फसलों की कटाई में किसानों को कोई परेशानी ना हो इस बात को सुनिश्चित करने पर फैसला लिया गया। साथ ही हर संभव कोशिश ये होनी चाहिए कि कृषि उपज खेतों के पास ही बिक सकें। साथ ही फसल को ले जाने के लिए किसानों को राज्य और अंतरराज्यीय वाहन की सुविधा हो, और फसल को ट्रकों से ले जाने के लिए लॉकडाउन के दौरान छूट का फैसला भी लिया गया। साथ ही फसलों की कटाई के साथ-साथ आगे की बुआई को लेकर खाद-बीज की कमी कहीं भी ना हो इस बात का भी ध्यान रखने पर सहमती बनीं।
वहीं जिन कृषि वस्तुओं का निर्यात किया जाना है, वो भी प्रभावित नहीं होनी चाहिए। फसल कटाई और बुआई से संबंधित यंत्रों की आवाजाही को छूट दी गई है। कृषि मशीनरी और कलपुर्जों की दुकानें लॉकडाउन में चालू रखी जा सकेगी। हाईवे पर ट्रकों की मरम्मत करने वाले गैरेज और पेट्रोल पंप भी चालू रहेंगे। चाय बागानों पर अधिकतम 50 प्रतिशत कर्मचारी रखते हुए काम किया जा सकेगा।