लम्बित वेतन समझौता न किए जाने से नाराज देश के बैंकों ने 31 जनवरी और 1 फरवरी को देशव्यापी हड़ताल का ऐलान किया है। इस संबंध में बैंक यूनियनों ने शुक्रवार देर शाम एक सभा की। जिसमें यूनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियन्स के प्रांतीय संयोजक कामरेड वाईके अरोड़ा ने कहा कि यह दुर्भाग्य है कि भारतीय बैंक संघ व भारत सरकार वेतन समझौता, पेंशन पुनरीक्षण आदि मुद्दों पर लगातार टालमटोल कर रही है। एनसीबीई के प्रदेश महामंत्री एवं एसबीआई स्टाफ एसोसिएशन के मण्डल महामंत्री काम. केके सिंह ने कहा, विगत 1 नवम्बर 2017 से देय वेतन पुनरीक्षण के लिए मई 2017 में चार्टर आफ डिमांड प्रस्तुत कर दी गयी थी। लेकिन आज तक वेतन पुनरीक्षण कार्य में कोई प्रगति नहीं हुई। उन्होंने बैंककर्मियों से सरकार एवं आईबीए की हठधर्मिता के विरोध में संघर्ष करने का आवाहन किया।
आईबाक महासचिव, काम. दिलीप चौहान ने बताया कि बड़े ऋणों की स्वीकृति एवं देख-रेख के अभाव में एनपीए होने के कारण लाभ के एक बड़े भाग को रिजर्व फंड में ट्रांसफर करके बैंकों को घाटे में दिखाया जा रहा है। इसी बहाने से बैंककर्मियों की वेतनवृद्धि में अड़ंगेबाजी की जा रही है। मीडिया प्रभारी अनिल तिवारी ने बताया कि दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल 31 जनवरी एवं 1 फरवरी को आहूत की गई है। दोनों दिन सभी बैंककर्मियों की सभा एवं प्रदर्शन इलाहाबाद बैंक हजरतगंज में किया जायगा। हड़ताल में जनता को होने वाली असुविधा व अन्य नुकसान की पूर्ण जुम्मेदार भारतीय बैंक संघ एवं भारत सरकार की होगी।