भारत में CORONA के पहले पीड़ित के दो महीने बाद संक्रमित लोगों की संख्या एक हजार पार कर चुकी है। पिछले सप्ताह में एक हजार CORONA पीड़ितों की संख्या पार करने वाला भारत दुनिया के 20 देशों में शामिल हो चुका है। संक्रमित लोगों की संख्या और संक्रमण दर को लेकर भारत की स्थिति अभी काबू में कही जा सकती है। सरकार भी इसे नियंत्रित सामुदायिक संक्रमण करार दे रही है।
चुनौती आगे है। इसके बाद बढ़ने वाले नए मामलों की संख्या यह तय करेगी कि भारत में Coronavirus के प्रकोप की स्थिति कैसी रहने वाली है। इसी से यह भी पता चलेगा कि पूरे देश में एक सप्ताह के लाकडाउन का क्या असर रहा। आइए जानते हैं और समझते हैं कि दुनिया के विभिन्न देशों में 1000वें मामले के बाद संक्रमित मामलों का ग्राफ कैसा रहा? इसी ट्रेंड के आधार पर भारत में इस वायरस के आगामी प्रकोप को समझा जा सकता है।
द्धि दर कम रहने के पीछे माना जा सकता है कि Coronavirus के शुरुआती प्रकोप से जूझने वाले देशों से इन देशों ने बहुत कुछ सीखा है। तभी भारत सहित इन देशों में लाकडाउन और शारीरिक दूरी पर तेजी के साथ भरोसा किया। इटली और स्पेन ने तब कड़े कदम उठाए जब वहां पर यह वायरस व्यापक रूप से विस्तार कर चुका था।
भारत में लाकडाउन कदम के भीतर उसका 1000वां मामला सामने आया। लिहाजा अगले सप्ताह आने वाले नए मामले यह तय करेंगे कि भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदम कितने प्रभावकारी साबित हो रहे हैं। हालांकि इस तस्वीर का एक आयाम यह हो सकता है कि अगर एक हजार मामलों के बाद भारत में संक्रमितों की दर चीन सरीखी रहती है तो भारत में संक्रमितों की संख्या नौ हजार पार कर सकती है। हालांकि इसका दूसरा पहलू यह भी है कि अगर भारत में संक्रमितों की संख्या में जापान का ट्रेंड दिखता है तो भारतीय संक्रमितों की संख्या 1500 के आसपास रह सकती है।
नोवेल Coronavirus एनफ्लूएंजा के वायरस सरीखा है जिसमें शुरुआती चरण में ही संक्रमण फैलाने की क्षमता होती है। हालांकि यह सार्स या मर्स से अलग होता है जिनका उच्चतम वायरल लोड सात-दस दिन के बाद ही दिखता है। शुरुआती चरण में व्यक्ति में वायरल लोड उच्चतम स्तर पर होता है। इसका सीधा सा मतलब है कि इस कैरियर में गंभीर लक्षण नहीं होते है फिर भी सर्वाधिक वायरस इसके भीतर होते हैं। लिहाजा कम्युनिटी ट्रांसमिशन में ऐसे व्यक्ति सबसे बड़ा खतरा साबित होते हैं।