विश्वभर में कोरोना महामरी को लेकर चीन सवालों के घेरे में है। अमेरिका ने तो पहले ही चीन पर कोविड-19 की गंभीरता को छिपाने और इस पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया था। साथ ही कई मौकों और प्रेसवार्ता के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति ने कोरोना वायरस को चीनी वायरस बोल चुके हैं। बीते कई महीनों से चीन और अमेरिका के बीच एक तरह का शीत युद्ध सा चल रहा है। अब दोनो देशों के बीच की तनातनी और भी ज्यादा बढ़ गई है। अमेरिका ने चीन पर कई तरह के प्रतिबंध लगाने के साथ साथ आर्थिक रिश्तों को भी खत्म कर दिया हैं। खबर है कि अमेरिका चीन से आनी वाली विमानों पर बैन लगा दिया है। सूत्रों की माने तो अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप 16 जून से चीन से आने वाले यात्री विमानों पर बैन लगाने का ऐलान कर दिया है। इसका सीधा अर्थ है कि 16 जून से दोनों देशों के बीच विमान सेवा पूरी तरह से बंद हो जाएगी।
चीन और अमेरिका के बीच मतभेद का असर विश्व स्वास्थ्य संगठन पर भी पड़ा है। राष्ट्रपति ट्रंप ने डब्ल्यूएचओ को चीन के नियंत्रण में बताते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन से भी सभी तरह के संबंध को खत्म कर के अमेरिका को WHO से अलग करते हुए दी जाने वाली 45 करोड़ डॉलर की धनराशी पर भी रोक लगा दी है। इतना ही नहीं ट्रंप ने हाल में अमेरिका में चीन के पीपुल्स लिबरेशन आर्मी से संबंध रखने वाले छात्रों और शोधकर्ताओं को देश में आने और किसी भी तरह की शिक्षा ग्रहण करने से रोक लगा दी।
दरअसल कोरोना वायरस की शुरूआत बीते साल के अंत में चीन के वुहान से शुरू हुई थी। जिसे पहले तो चीन ने शक्ती बल का प्रयोग करके सभी से छिपाने की कोशिश की, लेकिन जब कोविड-19 दुनिया के अन्य देशों में फैलने लगा तो चीन ने इस बिमारी की गंभीरता को सभी छिपाया। साथ ही कोविड-19 से जुड़े शुरूआती तथ्यों को नष्ट करने का प्रयास किया। और आज हालात ये है कि दुनियां के 213 देश कोविड-19 का शिकार हैं। 64 लाख से ज्यादा लोग कोरोना संक्रमित हैं। तो वहीं करीब 4 लाख लोगों की जान जा चुकी है। अमेरिका इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। जहां करीब 19 लाख लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हैं, तो वहीं 1 लाख से ज्यादा की जान जा चुकी है।