दिनों दिन कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए पूरी दुनिया के वैज्ञान दिनरात एक करके कोरोना वायरस के वैक्सीन बनाने में जुटे हैं। करीब 5 महीने से कोरोना वायरस ने दुनियां के 212 देशो पर कहर बरपा रखा है। वहीं जहां बीते दिनों अमेरिका समेत अन्य देशों में कोरोना संक्रमित मरीजों को हाइड्रऑक्सी क्लोरोक्वीन दवा दी जा रही थी, और इसका असर भी सकारात्मक देखने को मिला था, वहीं अब विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसके इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन से पहले अन्य कई देशों ने कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए हाइड्रऑक्सी क्लोरोक्वीन के इस्तेमाल पर बैन लगा दिया था। WHO ने कहा है कि मलेरिया की दवा कोरोना संक्रमित मरीजों को ठीक करने में इस्तेमाल न हो। विश्व स्वास्थ्य संगठन पहले ही कहा था कि इन दवाओं को क्लिनिकल ट्रायल में उपयोग के लिए रिजर्व किए जाने की आवश्यकता है।
बता दें विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बीते सोमवार को कहा कि इसने एहतियात के तौर पर हाइड्रॉक्सी क्लोरोक्वीन का कोरोना वायरस के इलाज के लिए क्लनिकल ट्रायल अस्थायी रूप से बंद कर दिया है। ये फैसला उस रिपोर्ट के आधार पर लिया गया है जिसमें दावा किया गया है कि कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए हाइड्रऑक्सी क्लोरोक्वीन के इस्तेमाल से कोरोना के मरीजों की मौत की संभावना बढ़ जाती है। वहीं कई जगह ये देखा भी गया है कि कुछ मरीजों में इस दवा के नाकारात्मक असर हुए हैं।