राज्य सरकारों ने लॉकडाउन के बाद मुसाफिरों की मदद की दिया भरोसा

देश में कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए मोदी सरकार के 21 दिनों के लॉकडाउन की घोषणा के बाद उन लोगों की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। जो लोग अपना गांव-घर छोड़कर दूसरे बड़े शहरों में रोजी रोटी की तलाश में रहते है। ऐसे दिहाड़ी मजदूर अब अपने-अपने गांव लौटने पर मजबूर है। चूकीं यातायात भी पूरी तरह से ठप्प है ऐसे में ऐसे दिहाड़ी मजदूर पैदल ही अपने गांव लौटने को मजबूर हैं। ऐसे में कई प्रदेश की सरकारों ने मदद का ऐलान किया है। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बीते गुरुवार को कहा कि ऐसे लोगों को उनके सुरक्षित गंतव्य तक पहुंचाने का सरकार की ओर से समुचित बंदोबस्त किया जाएगा।

यूपी सरकार की ओर से कहा गया है कि कोरोना लॉकडाउन को देखते हुए उत्तर प्रदेश के बॉर्डर पर आ रहे और अन्य राज्यों को पैदल जाने वाले मजदूरों और कामगारों के लिए मानवीय आधार पर विशेष व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए हैं। इतना ही नहीं मानवीय आधार पर ऐसे लोगों के लिए भोजन और पानी की भी उचित व्यवस्था की जाएगी। इतना ही नहीं स्वास्थ्य संबंधी पूरी सावधानी बरतते हुए इन लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजने की व्यवस्था भी की जाएगी। वहीं बिहार जाने वाले सभी श्रमिकों और दिहाड़ी मजदूरों के साथ साथ अन्य नागरिकों का पूरा ख्याल रखा जाएगा।

यूपी सरकार के बाद अब उत्तराखंड सरकार ने भी ऐसे यात्रियों और मुसाफिरों की मदद करने का ऐलान किया है जो दूसरे राज्यों से उत्तराखंड धार्मिक यात्रा पर निकले थे या जो पर्यटक इस वक्त उत्तराखंड में फंस गए हैं। उत्तराखंड सरकार ने केंद्र सरकार से अनुमति लेकर बसों का इंतज़ाम कर सभी पर्यटकों को उनके राज्य, उनके घर भेजने की व्यवस्था कर रही है। उत्तराखंड में फंसे हुए अधिकतर लोग गुजरात और उत्तर प्रदेश के हैं। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया कि जो भी लोग घर जाना चाहते हैं सरकार उनको सकुशल उनके घर पहुंचाने की व्यवस्था करेगी। आंकड़ों की माने तो 2100 से ज्यादा पर्यटक हरिद्वार और ऋषिकेश में हैं। जिसमें सबसे ज्यादा 400 के लगभग लोग गुजरात से हैं। इसके अलावा राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश सहित देश के अन्य राज्यों से भी लोग उत्तराखंड के अलग-अलग क्षेत्र में फंसे हैं।

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