CAA पर बवाल : हिंसक विरोध के पीछे सुनियोजित साजिश

CAA के विरोध में उत्तर भारत के अनेक हिस्सों में विरोध प्रदर्शन जारी है। लखनऊ में गुरुवार को एक पुलिस चौकी में आगजनी की गई। वहां भीड़ में अधिकांश छात्र नजर आ रहे थे। कम उम्र के छात्रों का हिंसा में शामिल होना इस बात की पहचान है कि उनके दिमाग में जहर भरा जा रहा है। चंद लोग अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए उनकी मासूमियत का गलत प्रयोग कर रहे हैं।

दिल्ली के जामिया के बवाल में पाया गया कि कैंपस के भीतर असामाजिक तत्वों के द्वारा पुलिस पर पत्थर फेंके गए और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुँचाया गया। कुछ विधायकों ने भी हिंसा को बढ़ाने की पहल की। इस बीच स्वयं को लिबरल विचार के अनेक ठेकेदारों ने देश के विरोध में आंदोलन करने की आम जनता से अपील की है।

अलीगढ़ और जामिया में छात्रों ने जिस तरीके से कानून हाथ में लिया और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया, वह एक अपराध है। इस कानून के खिलाफ पूर्वोत्तर के लोगों को भी बरगलाया गया।

राजीव गांधी के प्रधानमंत्री रहते असम गण परिषद के साथ जो असम समझौता हुआ था उसमें मुद्दे क्या थे? जब इस सरकार ने सबके हित को ध्यान में रखते हुए NRC को लागू किया तो उस पर बवाल मचा। उसके बाद नागरिकता संशोधन विधेयक जब कानून बन गया तो उसके माध्यम से धार्मिक विद्वेष फैला कर राजनीतिक पार्टियां वोट बैंक की राजनीति कर रही हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने खुद आंदोलन की अगुआई की है। इससे असामाजिक तत्वों को बल मिला और वे देश की व्यवस्था को चुनौती देने लगे। यही दिल्ली के जामिया मिल्लिया में हुआ। उत्तर प्रदेश के मुस्लिम इलाकों में सामाजिक सौहार्द तोड़ने की कोशिश की जा रही है।

दुर्भाग्य है कि इस सरकार ने मुस्लिम समुदाय की बुनियादी कमियों और दुर्गुणों को दूर कर उनको मजबूत बनाने की कोशिश की है तो तमाम राजनीतिक पार्टियां जो उनके कुनबे के बल पर सत्ता में आना चाहती हैं, सामाजिक ताने-बाने को तोड़कर देश को राजनीतिक रूप से अस्थिर करना चाहती हैं, लेकिन वे अपने मकसद में कभी कामयाब नहीं हो पाएंगे, क्योंकि देश उनकी दोहरी राजनीति और मौकापरस्ती को समझ चुका है। देश सच और अफवाह को भी जानता है। यह केवल राष्ट्र विरोधी शक्तियों का जमघट है जिनकी तादाद बहुत अधिक नहीं है। यहां कुछ बातें स्पष्ट दिख रही हैं। कैसे कैंपस की राजनीति में जहर घोला जा रहा है।

CAA के खिलाफ पूर्वोत्तर से शुरू हुए विरोध प्रदर्शन का पश्चिम बंगाल से होते हुए उत्तर प्रदेश और दिल्ली तक फैल जाना, इस बात की ताकीद करता है कि राष्ट्र विरोधी शक्तियां देश को अशांत करने पर तुली हुई हैं। राजनीतिक दल अपने निहित स्वार्थ के लिए किसी हद तक जा सकते हैं। जब PM स्पष्ट कह चुके हैं कि किसी भी मुस्लिम परिवार को डरने की जरूरत नहीं है। किसी भी तरीके से यह कानून उनके विरोध में नहीं है। ऐसे में विरोध-प्रदर्शन अत्यंत ही दुखद और चिंताजनक है।

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