राज्य के प्रख्यात बी-स्कूल,चन्द्रगुप्त प्रबंध संस्थान पटना,को एक और बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है जिसमें यहां के श्री राजीव रंजन का शोध-पत्र ब्रिटेन के कैम्ब्रीज़ विश्वविद्यालय में 30-31 जुलाई, 2020 को आयोजित होने वाले 23वें अन्तर्राष्ट्रीय बहु-विषयक अध्ययन सम्मेलन (Changing Health-related Behaviour Leveraging Data Analytics) में प्रस्तुत करने के लिए स्वीकार किया गया है।श्री राजीव रंजन एक वरिष्ठ प्रबन्धन पेशेवर हैं और सीआईएमपी के प्रशासी प्रमुख हैं।श्री रंजन का शोध-पत्र, जिसका शीर्षक “डेटा एनालिटिक्स के उपयोग द्वारा स्वास्थ्य-सम्बन्धित व्यवहार बदलना” (23rd International Conference of Multidisciplinary Studies) है, बताता है कि लोगों के स्वास्थ्य-सम्बन्धित व्यवहार को डेटा एनालिटिक्स का उपयोग कर के कैसे बदला जा सकता है।
यह शोध-पत्र “3-4-50 अवधारणा” का हवाला देते हुए बताता है कि सिर्फ़ 3 प्रकार के व्यवहार (अनुचित आहार, शारीरिक गतिविधि की कमी एवं धुम्रपान) ही अकेले 4 प्रकार की बिमारियों (हृदय-रोग/स्ट्रोक, मधुमेह, कैंसर एवंफे़फड़े के रोग) को जन्म देते हैं जो कि विश्व के 50 प्रतिशत मौतों के कारक होते हैं। यही कारण है किलोक स्वास्थ्य-सम्बन्धित कार्यो में“ व्यवहार बदलने” या “शुरूआती हस्तक्षेप” पर बल दिया जाता है ताकि स्वास्थ्य से समझौता करनेवाले या जोखि़म वाले व्यवहारों के नाकारात्मक या हानिकारक परिणामों को कम से कम किया जासके। शोध-पत्र बताता है कि डेटा एनालिटिक्स में नैदानिक या डायग्नोस्टिक जानकारियां (जिसमें व्यक्ति का व्यवहार भी शामिल होता है); जो कि क्लीनीकल परीक्षण या डायग्नोस्टिक्स या चिकित्सीय या शल्य-चिकित्सीय उपायों के द्वारा उत्पन्न होती है; को दोहन या हार्नेस करने की क्षमता है जिसका उपयोग कर न सिर्फ बिमारियों को बहुत हद तक रोका या कम किया जा सकता है, बल्कि क्लीनीकल परीक्षण या डायग्नोस्टिक्स या चिकित्सीय या शल्य-चिकित्सीय उपायों एवं उनके प्रबन्धन पर होने वाले खर्च को काफी कम कर के लोगों की जाने बचाई जा सकतीं हैं।
दूरभाष़ पर बात करते हुए चन्द्रगुप्त प्रबंध संस्थान पटना के निदेशक डा0 वी0 मुकुन्दादास ने प्रसन्नता जाहिर करते हुए श्री राजीव रंजन को उनकी इस उपलब्धि पर बधाई दी है।उन्होंने माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार; जो कि इस संस्थान के शासी परिषद् के अध्यक्ष भी हैं; को संस्थान की परिकल्पना एवं स्थापना करने के लिए धन्यवाद दिया जिसके कारण शोध के लिए उचित माहौल बनाना सम्भव हो सका। संस्थान के मुख्य सम्पर्क परामर्शी श्री कुमोद कुमार ने बताया कि संस्थान के लिए यह एक ऐतिहासिक क्षण है क्योंकि सी0आई0एम0पी0 के इतिहास में पहली बार किसी को कैम्ब्रीज़ विश्वविद्यालय से शोध-पत्र प्रस्तुतकरने के लिए आमंत्रण प्राप्त हुआ है।