छत्तीसगढ़ के पूर्व CM अजीत जोगी का निधन हो गया। उनका रायपुर के अस्पताल में 21 दिनों से इलाज चल रहा था। मिली जानकारी के मुताबिक शुक्रवार को भी उन्हें एक कार्डियक अरेस्ट आया था, जिसके बाद उनकी हालत ज्यादा गंभीर हो गई थी। शुक्रवार को राजधानी रायपुर के नारायण हॉस्पिटल में अजीत जोगी ने अंतिम सांस ली।
जोगी राजधानी रायपुर के नारायणा अस्पताल में पिछले 21 दिनों से उनका उपचार चल रहा है। जोगी तभी से कोमा में थे। अस्पताल के डायरेक्टर डॉ सुनील खेमका और डॉ पंकज ओमर के नेतृत्व में विशेषज्ञों की टीम लगातार 24 घंटों तक उनके स्वास्थ्य की निगरानी में जुटी थी।
अमित जोगी ने लिखा कि 20 वर्षीय युवा छत्तीसगढ़ राज्य के सिर से आज उसके पिता का साया उठ गया. केवल मैंने ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ ने नेता नहीं,अपना पिता खोया है। अजीत जोगी ढाई करोड़ लोगों के अपने परिवार को छोड़कर, ईश्वर के पास चले गए. गांव-गरीब का सहारा, छत्तीसगढ़ का दुलारा,हमसे बहुत दूर चला गया।
अजीत जोगी का निधन 74 साल की उम्र में हुआ. बीते कई दिनों से उनकी तबीयत में उतार-चढ़ाव आ रहा था। सांस लेने में तकलीफ महसूस होने के बाद उन्हें 9 मई को रायपुर के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। तब डॉक्टरों ने कहा था कि उन्हें कार्डियक अरेस्ट हुआ है। हालात को बिगड़ता देख डॉक्टरों ने उन्हें वेंटिलेटर पर रखा था। अस्पताल में भर्ती होने से पहले उन्होंने प्रवासी मजदूरों के हालत पर ट्वीट किया था और केंद्र सरकार से मांग की थी कि जैसे विदेशों में फंसे मजदूरों को लाने के लिए वंदे भारत चालू किया गया है वैसे ही मजदूरों को घर तक पहुंचाने के लिए अभियान शुरू किया जाना चाहिए।
नौकरशाह से राजनेता बने अजित जोगी, छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री रहे हैं। मध्य प्रदेश से छत्तीसगढ़ के बंटवारे के बाद वह नवंबर 2000 से नवंबर 2003 तक मुख्यमंत्री रहे। जोगी ने 2016 में कांग्रेस छोड़ दी थी और अपनी पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) की स्थापना की थी।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अजीत जोगी के निधन पर दुख जताया है। उन्होंने ट्वीट किया कि छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी जी के निधन से दुखी हूं। मैं उनके चरणों में श्रद्धासुमन अर्पित करता हूं। मेरी संवेदनाएं शोकाकुल परिवार के साथ हैं। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति दें और इस कठिन घड़ी में उनके परिजनों को संबल प्रदान करें।
छत्तीसगढ़ के गठन के साथ ही अजीत जोगी राज्य की सियासत के धुरी बन गए। छत्तीसगढ़ की राजनीति हमेशा अजीत जोगी के इर्द-गिर्द घुमती रही है। अजीत जोगी ने वर्ष 2000 में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री पद की पहली बार शपथ ली तो उनका वो बयान इतिहास के पन्नों में उन अमिट पंक्तियों की तरह दर्ज हो गया जिसे हर राजनीतिक विश्लेषक बार-बार दोहराता है।
छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेते हुए अजीत जोगी ने कहा था, ‘हां मैं सपनों का सौदागर हूं। मैं सपने बेचता हूं.’ लेकिन वर्ष 2000 के बाद वह सियासत के ऐसे सौदागर साबित हुए जो राजनीति के शीर्ष पर पहुंचने के सपने को दोबारा साबित नहीं कर पाया।
दो बार राज्यसभा सदस्य, दो बार लोकसभा सदस्य, एक बार मुख्यमंत्री रहने के अलावा उनके खाते में कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रहने का रिकॉर्ड भी दर्ज है। उनकी इच्छाशक्ति और जिजीविषा को एक मिसाल के तौर पर देखा जाता है। उनके राजनीतिक करियर में आने को लेकर तमाम किस्से हैं, जो तैरते मिल जाते हैं।