5 जुलाई को लग रहा है साल का तीसरा चंद्र ग्रहण, जानें भारत पर असर

5 जुलाई रविवार के दिन 2020 का तीसरा चंद्र ग्रहण लगने वाला है। एक महीने के भीतर ही लगने वाला ये तीसरा ग्रहण है। यह ग्रहण वास्तविक चंद्र ग्रहण ना होकर एक उपछाया चंद्र ग्रहण होगा। उपछाया चंद्र ग्रहण को धार्मिक लिहाज से बहुत ज्यादा मान्यता नहीं दी जाती है। 5 जुलाई को लगने वाला उपछाया चंद्र ग्रहण सुबह 8 बजकर 37 मिनट पर शुरू होगा जो 11 बजकर 22 मिनट पर समाप्त हो जाएगा।

ये चंद्र ग्रहण अमेरिका, दक्षिण-पश्चिम यूरोप और अफ्रीका के कुछ हिस्से में दिखाई देगा। यह ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा। ग्रहण काल में चंद्रमा कहीं से कटा हुआ होने की बजाय अपने पूरे आकार में नजर आएगा। ग्रहण काल के दौरान चंद्रमा धनु राशि में होंगे।

5 जुलाई को लगने वाला ग्रहण उपछाया चंद्र ग्रहण होगा। शास्त्रों में उपछाया चंद्र ग्रहण को ग्रहण नहीं माना जाता है। इसलिए इस दिन कोई भी कार्य करने पर प्रतिबंध नहीं होगा। हालांकि ज्योतिषविद थोड़ी बहुत सावधानी बरतने की सलाह जरूर देते हैं। यह ग्रहण धनु राशि में पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के दौरान, शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को लगेगा। खास बात ये है कि इसी दिन गुरू पूर्णिमा भी है। इस उपछाया चंद्रग्रहण को धनुर्धारी चंद्रग्रहण भी कहा जा रहा है।

5 जुलाई को लगने वाला चंद्र ग्रहण एक महीने के अंदर ही लगने वाला तीसरा ग्रहण होगा। 5 जून को चंद्र ग्रहण लगा था, 21 जून को सूर्य ग्रहण और अब 5 जुलाई को फिर चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। ज्योतिर्विद भूषण कौशल से जानते हैं कि 30 दिनों के अंदर तीन ग्रहण का देश-दुनिया पर क्या प्रभाव पड़ेगा।

5 जुलाई को लगने वाला ग्रहण उपछाया चंद्र ग्रहण है। चंद्र ग्रहण के शुरू होने से पहले चंद्रमा धरती की उपछाया में प्रवेश करता है। जब चंद्रमा पृथ्वी की वास्तविक छाया में प्रवेश किए बिना ही बाहर निकल आता है तो उसे उपछाया ग्रहण कहते हैं। चंद्रमा जब धरती की वास्तविक छाया में प्रवेश करता है, तभी उसे पूर्ण रूप से चंद्रग्रहण माना जाता है। उपछाया ग्रहण को वास्तविक चंद्र ग्रहण नहीं माना जाता है। ज्योतिष में भी उपछाया को ग्रहण का दर्जा नहीं दिया गया है।

ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार उपछाया चंद्र ग्रहण को ग्रहण की श्रेणी में नहीं रखा जाता है। इसलिए बाकी ग्रहण की तरह इस उपछाया चंद्र ग्रहण में सूतक काल नहीं लगेगा। सूतक काल मान्य ना होने की वजह से मंदिरों के कपाट बंद नहीं किए जाएंगे और ना ही पूजा-पाठ वर्जित होगी। इसलिए इस दिन आप सामान्य दिन की तरह ही सभी काम कर सकते हैं।

5 जुलाई को लगने वाला चंद्र ग्रहण धनु राशि में लग रहा है। जिस समय ये ग्रहण लग रहा है उस समय कर्क लग्न उदित होगा। धनु राशि के लोगों को चंद्र ग्रहण के समय बहुत सावधान रहने की जरूरत है। इस राशि के लोगों को अपनी सेहत और दांपत्य जीवन पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होगी।

जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है तो सूर्य की पूरी रोशनी चंद्रमा पर नहीं पड़ती है। इसे चंद्रग्रहण कहते हैं। जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सरल रेखा में होते हैं तो चंद्रग्रहण की स्थिति होती है। चंद्रग्रहण हमेशा पूर्णिमा की रात में ही होता है। एक साल में अधिकतम तीन बार पृथ्वी के उपछाया से चंद्रमा गुजरता है, तभी चंद्रग्रहण लगता है।

चंद्र ग्रहण एक खगोलीय स्थिति है. जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच में आ जाती है और जब चंद्रमा धरती की छाया से निकलता है तो चंद्र ग्रहण पड़ता है। जब पृथ्वी सूर्य की किरणों को पूरी तरह से रोक लेती है तो उसे पूर्ण चंद्र ग्रहण कहते हैं लेकिन जब चंद्रमा का सिर्फ एक भाग छिपता है तो उसे आंशिक चंद्र ग्रहण कहते हैं।

टेलिस्‍कोप की मदद से देखने से यह चंद्र ग्रहण बहुत ही खूबसूरत दिखाई देगा। इसे आप www.virtualtelescope.eu पर वर्चुअल टेलिस्‍कोप की मदद से देख सकते हैं। इसके अलावा आप इसे यूट्यूब चैनल CosmoSapiens, Slooh पर लाइव भी देख सकते हैं।

यह ग्रहण चन्द्रमा का उपछाया ग्रहण है। इसमें चन्द्रमा पर केवल छाया की स्थिति रहेगी। इसमें किसी के लिए कोई भी सूतक के नियम लागू नहीं होंगे। पूर्णिमा की पूजा उपासना भी विधि विधान से की जा सकेगी। उपछाया चंद्र ग्रहण में ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है हालांकि थोड़ी सावधानी जरूर रखनी चाहिए और ग्रहण के नियमों का पालन करना चाहिए।

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