चंद्र ग्रहण भारतीय समय के अनुसार 5 जून रात्रि 11 बजकर 16 मिनट से Grahan शुरू हो जाएगा और अगली तारीख 6 जून की रात 2 बजकर 32 मिनट तक रहेगा। रात 12 बजकर 54 मिनट पर यह अपनी पूर्ण स्थिति में होगा। Chandra Grahan एक अशुभ घटना है। जिस दौरान लोग कई तरह की सावधानियां बरततें हैं। तो जानते हैं Grahan के दौरान क्या करें और क्या नहीं।
ग्रहण काल में क्या न करें
- Grahan के समय तेल लगाना, भोजन करना, जल पीना, सोना, बाल बनाना, संभोग करना, मंजन करना, कपड़े धोना, ताला खोलना आदि नहीं करना चाहिए।
- Grahan के समय भोजन करने वाला मनुष्य जितने अन्न के दाने खाता है, उतने सालों तक नरक में वास करता है।
- Grahan के दौरान सोने से व्यक्ति रोगी होता है। मल त्यागने से पेट में कृमि रोग, मालिश या उबटन लगाने से कुष्ठ रोग और स्त्री प्रसंग से अगले जन्म में सूअर की योनि मिलती है।
- Chandra Grahan में तीन प्रहर पूर्व भोजन नहीं करना चाहिए (1 प्रहर = 3 घंटे)। बूढ़े, बालक और रोगी एक प्रहर पूर्व खा सकते हैं।
- Grahan के दिन पत्ते, तिनके, लकड़ी और फूल नहीं तोड़ना चाहिए।
- स्कंद पुराण के अनुसार, ग्रहण के अवसर पर दूसरे का अन्न खाने से 12 वर्षों का एकत्र किया हुआ सब पुण्य नष्ट हो जाता है।
- Grahan के समय कोई भी शुभ या नया कार्य शुरू नहीं करना चाहिए।
ग्रहण काल में क्या करें
- Grahan लगने से पूर्व स्नान करके भगवान का पूजन, यज्ञ और जप करना चाहिए।
- भगवान वेदव्यास जी ने परम हितकारी वचन कहे हैं- Chandra Grahan में किया गया पुण्यकर्म (जप, ध्यान, दान आदि) एक लाख गुना और सूर्य ग्रहण में दस लाख गुना फलदायी होता है।
- Grahan के समय गुरुमंत्र, इष्टमंत्र अथवा भगवन्नाम जप अवश्य करें, न करने से मंत्र को मलिनता प्राप्त होती है।
- Grahan समाप्त हो जाने पर स्नान करके उचित व्यक्ति को दान करने का विधान है।
- Grahan के बाद पुराना पानी और अन्न नष्ट कर देना चाहिए। नया भोजन पकाया जाता है और ताजा पानी भरकर पीया जाता है।
- Chandra Grahan पूरा होने पर उसका शुद्ध बिम्ब देखकर ही भोजन करना चाहिए।
- Grahan काल में स्पर्श किए हुए वस्त्र आदि की शुद्धि के लिए उसे बाद में धो देना चाहिए तथा स्वयं भी वस्त्रसहित स्नान करना चाहिए।
- Grahan के समय गायों को घास, पक्षियों को अन्न, जरूरत मंदों को वस्त्र दान देने से अनेक गुना पुण्य प्राप्त होता है।