भारत में सड़क दुर्घटनाओं की क्‍या हैं सबसे बड़ी वजह, किन-किन कदमों से कम होंगे हादसे

दुनिया के दूसरे सबसे बड़े सड़क नेटवर्क वाले देश भारत में सबसे अधिक सड़क दुघर्टनाएं वाहन चालकों की लापरवाही और चूक तथा नियम-कायदों की अनदेखी की वजह से होती हैं। इस गलती के पीछे शराब का सेवन सबसे प्रमुख कारण है। देश में 70 फीसद दुर्घटनाएं वाहन चालकों की लापरवाही से होती हैं। करीब 10 फीसद दुर्घटनाएं वाहनों की तकनीकी खराबी के कारण, छह फीसद खराब मौसम के कारण और शेष चार फीसद के लिए खराब सड़कें जिम्मेदार हैं।

जाहिर है कि वाहन चालकों की लापरवाही इन दुर्घटनाओं में सबसे अहम है। यह बात किसी से छिपी नहीं है कि देश का तकरीबन पूरा यातायात महकमा भारी भ्रष्टाचार से ग्रस्त है। विकसित देशों के बारे में कहा जाता है कि वहां ड्राइविंग लाइसेंस लेना डिग्री हासिल करने जैसा काम होता है। जबकि अपने यहां भ्रष्ट व्यवस्था में यह संभव है कि बुनियादी शर्तों को पूरा किए बिना भी लाइसेंस मिल जाए। बल्कि यह कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी कि तमाम नियमों को दरकिनार करते हुए हमारे यहां लोगों को आसानी से लाइसेंस दिया जाता है। लेकिन मोटर वाहन संशोधन अधिनियम 2019 में ड्राइविंग लाइसेंस संबंधी नियमों को और सख्त बनाने का प्रावधान किया गया है। साथ ही इसमें लाइसेंसिंग प्रक्रिया में प्रौद्योगिकी की शुरुआत करके कई चुनौतियों का समाधान किया गया है।

तकनीकी खामी दुरुस्त करने पर जोर
भारत में सड़क दुर्घटनाओं की प्रमुख वजहों में एक यह भी है कि तकनीकी खराबी के बावजूद वाहन का इस्तेमाल होता रहता है। लेकिन अब संशोधित अधिनियम में अंतरराष्ट्रीय मानकों को लागू करते हुए यह व्यवस्था की गई है कि अगर कोई वाहन तकनीकी या यांत्रिक रूप से खराब निकलता है तो संबंधित निर्माता कंपनी को उसे वापस मंगाना होगा। नए वाहनों की जांच प्रणाली को बदल कर और दुरुस्त किया जाएगा। टायर कंपनियों पर भी नकेल कसने की बात है। अगर गाड़ी या टायर की खराबी की वजह से कोई हादसा होता है तो संबंधित कंपनियां जिम्मेदार होंगी। इसी तरह राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण वाली कंपनियों पर भी शिकंजा कसा गया है। खराब सड़कों की वजह से अगर कोई हादसा होता है तो इस पर वर्तमान में सड़क बनाने वाले इंजीनियरों की कोई जवाबदेही नहीं है। लेकिन इस संशोधन में उन्हें भी कानून के दायरे में लाया जा रहा है और उन पर भारी जुर्माने की व्यवस्था की जा रही है।

यातायात नियमों का सख्ती से पालन 
सड़क हादसों का एक अन्य कारण बहुत आम है और वह है यातायात नियमों की अनदेखी की प्रवृत्ति। केंद्र सरकार ने यातायात नियमों के उल्लंघन को गंभीरता से लेते हुए मोटर वाहन संशोधन अधिनियम में भारी जुर्माना लगाने की व्यवस्था की है। इस विधेयक में यातायात से जुड़े कुछ नियमों के उल्लंघन पर जुर्माने के तौर पर एक लाख रुपये तक का भुगतान करना पड़ सकता है। नाबालिग द्वारा गाड़ी चलाने पर वाहन मालिक को दोषी माना जाएगा और उस पर 25,000 रुपये जुर्माने के साथ तीन साल की जेल और वाहन का पंजीकरण भी रद हो सकता है। इसके अलावा बिना हेलमेट के वाहन चलाने पर एक हजार रुपये का जुर्माना और तीन माह के लिए लाइसेंस निलंबित किया जाना शामिल है। इस मोटर वाहन संशोधन अधिनियम, 2019 में ऐसे सभी कदम उठाए गए हैं, जिससे सड़क हादसों में निश्चित रूप से कमी आ सकती है। बस जरूरत इस बात की है कि इन उपायों को सख्ती से लागू किया जाए।

बीमा और मुआवजा 
मोटर वाहन संशोधन अधिनियम का एक प्रावधान तीसरे पक्ष के बीमा के बारे में भी है, जिसमें मुआवजे की राशि बढ़ाई गई है ताकि हादसा होने पर प्रभावित पक्ष को राहत पहुंचाई जा सके। इस बारे में बीमा कंपनियों और गाड़ी मालिकों की ईमानदारी को भी कायम करने की जरूरत है, क्योंकि बीमा के तहत कई बार जरूरतमंद लोग मुआवजा नहीं उठा पाते, जबकि पहुंच वाले लोग मामूली हादसे में भी भारी राशि वसूल लेते हैं। यह कार्य तभी संभव है जब सरकार और बाजार की कार्यप्रणाली में काम करने की जवाबदेह और पारदर्शी संस्कृति का विकास हो।

संशोधन अधिनियम का एक पहलू यातायात के नियमों के उल्लंघन पर कठोर दंड देने से भी जुड़ा है। क्या नियम कड़े कर देने से लोग यातायात के नियमों का उल्लंघन नहीं करेंगे? क्या कानून लागू करने वाली एजेंसियों का सामथ्र्य इतना है कि वे देश की सभी सड़कों के हर बिंदु पर कानून लागू करवाने के लिए उपलब्ध हो सकें? हालांकि इन सवालों के जवाब अनुत्तरित हैं। लोगों को लगता है कि वे पैसे देकर छूट जाएंगे। लोग दुर्घटनाग्रस्त व्यक्तियों की मदद के लिए आगे नहीं आते, क्योंकि पुलिस उन्हें तरह-तरह से परेशान करती है। यह संकट दूर करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों में समन्वय आवश्यक है। उन्हें नियमों का सख्ती से पालन कराना होगा और लोगों को जागरूक बनाना होगा। आम लोगों से इस भय को दूर करना होगा कि दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति की मदद करने से पुलिस उन्हें परेशान नहीं करेगी। इसके अलावा इंजीनियरिंग पहलू को देखें तो यह रोड के डिजाइन तथा सड़क पर यातायात प्रबंधन योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए जिम्मेदार है।

इस पहलू का पूर्व के कानून में विस्तृत रूप से प्रावधान नहीं किया गया है। किंतु इस संशोधित अधिनियम में रोड डिजाइनर, कंसल्टेंट्स तथा स्टेकहोल्डर एजेंसी को डिजाइन तथा ऑपरेशन के लिए उत्तरदायी बनाया गया है। निश्चित रूप से इस अधिनियम से सड़कों को और अधिक सुरक्षित बनाने में मदद मिलेगी। हालांकि सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए एक मजबूत पक्ष नागरिकों का राष्ट्र के प्रति अपने दायित्व को समझने और यातायात नियमों के समुचित पालन से जुड़ा है।

देश में सड़क हादसों में घायलों की मदद करने वाले रहम दिल लोगों को कानूनी सुरक्षा देकर, अन्य लोगों को भी घायलों के प्रति संवेदनशील बनने के लिए उन्हें प्रोत्साहित किए जाने की व्यवस्था इस संशोधित अधिनियम में की गई है जो काफी महत्वपूर्ण है। यह सच है कि सड़क हादसे पूरी तरह समाप्त नहीं किए जा सकते, पर उन्हें कम करके लाखों जिंदगियां बचाई जा सकती हैं। इसके लिए संबंधित महकमों में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के साथ जनजागृति जरूरी है। इसके अलावा वाहनों के रख-रखाव, उनके परिचालन, ड्राइवरों की योग्यता व अन्य मामलों में एक समान मानक लागू करने की जरूरत है।

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