अमेरिका ने चीन-पाक आर्थिक मामले (CPEC) में एक बार फिर पाक को कड़ी हिदायत दी है। अमेरिका ने साफ तौर पर पाक को ये चेतावनी दी है कि अगर पाकिस्तान इस समझौते पर पीछे नहीं हटता है तो उसे गंभीर नतीजे भुगतने पड़ेंगे। उसे लंबे वक्त तक आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। यह तय है कि यदि अमेरिका इस तरह के कड़े रुख अपनाता है तो पाक के पास कोई विकल्प नहीं बचेगा। अमेरिका के इस कड़े रुख से भारत के दृष्टिकोण को समर्थन मिला है। भारत हमेशा से ही इस तरह के परियोजना का सख्त विरोध करता आया है।
एक शीर्ष अमेरिकी राजनयिक ऐलिस वेल्स के मुताबिक कि चीन-पाकिस्तान का यह आर्थिक गलियारे का मकसद चीन की दक्षिण एशिया में उसकी महत्वाकांक्षा को दर्शाता है। वह इस क्षेत्र में एक प्रमुख खिलाड़ी की भूमिका में रहने की इच्छा रखता है। राजनयिक ने कहा कि इस करार से पाकिस्तान को कुछ भी मिलने वाला नहीं है, इससे केवल बीजिंग को ही फायदा होगा। उन्होंने पाकिस्तान को इसके एवज में एक बेहत मॉडल की पेशकश की है।