भारत समेत दुनिया के तमाम देश प्लास्टिक के कचरे से परेशान हैं। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने मन की बात कार्यक्रम में नागरिकों से प्लास्टिक के खिलाफ जन आंदोलन का आह्वान किया है। वर्ष 1950 से अबतक वैश्विक स्तर पर 8.3 से 9 अरब मीट्रिक टन प्लास्टिक का उत्पादन हो चुका है, जो कचरे के चार से अधिक माउंट एवरेस्ट के बराबर है। अब तक निर्मित कुल प्लास्टिक का लगभग 44 फीसद वर्ष 2000 के बाद बनाया गया है। वहीं भारत में प्रतिदिन 9 हजार एशियाई हाथियों के वजन जितना 25,940 टन प्लास्टिक कचरा पैदा होता है। फिर भी, भारतीय दुनिया के सबसे कम प्लास्टिक उपभोक्ताओं में शामिल हैं। एक भारतीय एक वर्ष में औसतन 11 किग्रा प्लास्टिक का इस्तेमाल करता है।
पर्यावरण में मौजूद प्लास्टिक
उत्पादित प्लास्टिक का लगभग 40 फीसद पैकेजिंग के इस्तेमाल में आता है, जिसे एक बार उपयोग किया जाता है और फिर छोड़ दिया जाता है। 1950 के बाद से उत्पादित सभी प्लास्टिक का 79 फीसद पर्यावरण में अभी भी मौजूद है।
बेहद हानिकारक
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक हर साल लगभग 5 ट्रिलियन प्लास्टिक की थैलियां दुनिया भर में उपयोग की जाती हैं। प्लास्टिक की थैलियां पर्यावरण, समुद्र और धरती पर रहने वाले जीवों के लिए बेहद हानिकारक हैं। दिलचस्प बात यह है कि बांग्लादेश 2002 में प्लास्टिक की थैलियों पर प्रतिबंध लगाने वाला पहला देश था। कई अफ्रीकी देशों ने अपेक्षाकृत कम अपशिष्ट-संग्रह और रीसाइक्लिंग दरों के लिए जगह बनाई है। अमेरिका ने अभी तक प्लास्टिक की थैलियों पर प्रतिबंध नहीं लगाया है, हालांकि उसके कुछ राज्यों ने स्वंय ही थैलियों पर प्रतिबंध लगा रखा है।