18वीं बरसी: आज ही के दिन हुआ था संसद पर हमला, PM मोदी, समेत कई नेताओं ने दी श्रद्धांजलि

देश की सबसे सुरक्षित जगहों में से एक माने जाने वाली भारत की संसद पर आज ही के दिन जैश ए मोहम्मद के आतंकियों ने हमला कर दिया था। 13 दिसंबर 2001 इसी दिन संसद पर हमला हुआ था, पांच आतंकी संसद परिसर में घुस आए थे। उन्होंने 9 लोगों की जान ले ली थी और 15 लोग घायल हो गए थे। हमले को 17 साल बीत चुके हैं, भारत ने उससे सबक तो लिया, लेकिन पाकिस्तान अपनी हरकतों से अब तक बाज नहीं आया है। वह लगातार भारत को नुकसान पहुंचाने की कोशिशों में लगा रहता है।

संसद में साल 2001 में हुए हमले की आज 18वीं बरसी है। इस आतंकी हमले में शहीद लोगों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद समेत कई अधिकारियों ने श्रद्धांजलि अर्पित की है। रामनाथ कोविंद ने ट्वीट करते हुए उन्होंने लिखा कि साल 2001 में हुए संसद के हमले में मारे गए लोगों को सलाम करते हैं उन्होंने उन लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की।

राष्ट्रपति के अलावा केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने भी ट्वीट कर इस हमले में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की है। ट्वीट करते हुए उन्होंने लिखा कि मैं उन सभी लोगों को सलाम करता हूं जिन्होंने उस हमले में अपनी जान गवाई।

गृह मंत्री अमित शाह ने भी ने भी ट्वीट कर शहीद जवानों को नमन किया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि संसद भवन पर हुए आतंकी हमले में आतंकवादियों से लोहा लेते हुए और भारतीय लोकतंत्र कें मंदिर की रक्षा करते हुए शहीद हुए देश के वीर जवानों व उनके परिजनों को कोटि-कोटि नमन। साथ ही उन्होंने लिखा कि आपको बलिदान को सभी सदैव देश की रक्षा, उन्नति व खुशहाली के प्रति अपना सर्वस्व अपर्ण करने के लिए प्रेरित करेगा।

इसके अलावा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी संसद में हुए हमले की श्रद्धांजलि अर्पित की है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि भारत हमेशा उन लोगों द्वारा दी गई अनुकरणीय बहादुरी को याद रखेगा जो 2001 में संसद पर कायरतापूर्ण हमले के दौरान शहीद हो गए थे। उनकी वीरता और बलिदान हमें प्रेरित करते रहेंगे। हम सभी राष्ट्र आज आतंकवाद के खिलाफ एकजुट हैं। वहीं उप-राष्ट्रपति वैंकेया नायडु ने भी इस हमले की बरसी पर श्रद्धांजलि अर्पित की।

इस हमले के बाद 15 दिसंबर को दिल्ली पुलिस ने आतंकी संगठन-जैश-ए मोहम्मद के सदस्य अफजल गुरु को पकड़ा। इस दौरान इस मामले की सुनवाई करने कर रही ट्रायल कोर्ट ने 18 दिसंबर 2002 अफजल गुरु, शौकत हसन और गिलानी को मौत की सजा सुनाई थी।

इस हमले के 12 साल बाद 2003 सैयद अब्दुल रहमान गिलानी को हाई कोर्ट से बरी कर दिया था। इसके बाद ये पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। साल 2005 में शौकत की फांसी की सजा के बदले 10 साल की जेल की सजा सुनाई। इसके बाद 9 फरवरी 2013 को दोषी अफजल गुरु को सूली पर चढ़ाया गया। फांसी के बाद अफजल गुरु के शव को तिहाड़ में दफनाना पड़ा। आखिरी वक्त तक अफजल को यही लगा कि उसको फांसी की सजा नहीं सुनाई जाएगी, क्योंकि उसकी सजा से कश्मीर में हिंसा भड़क जाएगी, लेकिन राष्ट्रपति ने उसकी याचिका को ठुकरा दिया।

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